त्रुटि
का कद मत नापिये,कद में ना कुछ भेद|
पूरी
नैया दे डुबा, इक नन्हा
सा छेद||
गलती
से मत भागिये ,छुपना है बेकार|
गलती,
गलती ही रहे ,हो कोई आकार||
धरती
पर जैसे रचे, जन जीवन कर्तार|
माटी से गढ़ता रहा ,बर्तन देख कुम्हार||
माटी-माटी खेलते,चाक थके ना हाथ|
माटी में पैदा हुआ,जाना उसके साथ||
लगा डुबकियाँ कुंभ में ,तन का मैल उतार|
कहाँ उतारे सोच ले ,मन का शेष विकार||
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सुन्दर नव-नीति दोहे ...
जवाब देंहटाएंवाह...!
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम दोहे प्रकाशित किये हैं बहन राजेश जी आपने!
सुन्दर और शिक्षाप्रद दोहावली...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हैं दोहे आभार दीदी-
हो गलती का लती जो, खायेगा वह लात |
पछताये कुछ ना मिले, गर समझे ना बात ||
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अर्थपूर्ण दोहे
जवाब देंहटाएंlatest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
इस उत्साह वर्धन हेतु आप सभी मित्रों का हार्दिक आभार |
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल मंगलवार (02-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंसुन्दर ,अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात
उत्तराखंड त्रासदी : TVस्टेशन ब्लाग पर जरूर पढ़िए " जल समाधि दो ऐसे मुख्यमंत्री को"
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/blog-post_1.html?showComment=1372748900818#c4686152787921745134