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शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

दोहों पर दोहे




उर्दू में है शेर ज्यों, दोधारी शमशीर |
हिंदी में दोहा अटल, सही लक्ष्य का तीर |

शेरो में शायर भरे, पूरे मन के भाव |
इसी भाँति  दोहा करे, सीधे मन पर घाव |

गजल शेर का एक जुज, हो इनसे परिपूर्ण |
पर दोहा है चतुष्पद, भाव भरे सम्पूर्ण |

दोहा पूर्ण यथार्थ है, भरा सार्थक तत्व |
अक्षर-अक्षर चुन रखा, बढ़ता गया घनत्व |

दोहे में शक्ति बहुत, नहीं जरा अतिरेक |
चहूँदिशि शर संधानता, जड़ा शब्द हर एक |

दो पंक्ति इस छंद की, दो धारी तलवार |
रही कहीं थोड़ी कमी, देती खाल उतार |

एक बार त्रुटि से रचा, होता है कब ठीक |
चाहे कुछ कर डालिए, हो ना पाए नीक |

कविता में सिरमौर है, ये छंदों का छंद |
मन-मस्तक पर प्यार से, करे वार निर्द्वन्द |

दोहा रचना है कठिन, सरल नहीं यह जान |
कम शब्दों में भाव ले, भरने हैं निज प्रान |

यद्यपि दोहा एक है, अलग-अलग हैं भाग |
चार भाग करते निहित, जीवन का हर राग |

1 टिप्पणी:

  1. दोहा के सम्मान में, शब्द दिये जो आप ।
    सत्य धरातल में दिखे, जो चाहे ले नाप

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