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मंगलवार, 23 जुलाई 2013

"दो कुण्डलियाँ " (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

दो कुण्डलियाँ 
(१)
भारत में आतंक की, आई कैसी बाढ़।
भाई अपने खून से, ठान रहा है राड़।।
ठान रहा है राड़, चाल है बदली-बदली।
क्यों है कण्टक-ग्रस्त, सलोना पादप कदली।
कह मयंक कविराय, हुए सज्जन हैं आरत।
कैसे निज सम्मान, पुनः पायेगा भारत?? 
 
(२)
कम्प्यूटर अब बन गया, जन-जीवन का अंग।
कलियुग ने बदले सभी, दिनचर्या के ढंग।।
दिनचर्या के ढंग, हो गयी दुनिया छोटी।
देता है यह यन्त्र, आजकल रोजी-रोटी।।
कह मयंक कविराय, यही नवयुग का ट्यूटर।
बाल-वृद्ध औ’ तरुण, सीख लो अब कम्प्यूटर।। 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया है गुरु जी
    सादर नमन--
    आभार-

    जवाब देंहटाएं
  2. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 24/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय शास्त्री जी, दोनों ही कुण्डलिया छंद कथ्य, शिल्प और भाव में बेजोड़ हैं.बधाइयाँ....

    "भाई अपने भाई से" यह दोहे का विषम चरण है .अंत में लघु,गुरु या लघु,लघु,लघु होना चाहिये.मात्रायें भी तेरह होनी चाहिये. कृपया देख लें.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत-बहुत आभार अरुण जी!
    अभी शुद्ध करता हूँ!

    जवाब देंहटाएं
  5. कह मयंक कविराय, यही नवयुग का ट्यूटर।
    बाल-वृद्ध औ’ तरुण, सीख लो अब कम्प्यूटर।।

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    कम्प्यूटर अब बन गया, जन-जीवन का अंग।
    कलियुग ने बदले सभी, दिनचर्या के ढंग।।
    दिनचर्या के ढंग, हो गयी दुनिया छोटी।
    देता है यह यन्त्र, आजकल रोजी-रोटी।।
    कह मयंक कविराय, यही नवयुग का ट्यूटर।
    बाल-वृद्ध औ’ तरुण, सीख लो अब कम्प्यूटर।।

    बहुत खूब !बहूत खूब !बहुत खूब !छा गए दोस्त !

    छोड़ो पैदल चलना ,ले लो सब स्कूटर

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार कुण्डलियाँ ! बहुत सुंदर !

    जवाब देंहटाएं

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