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शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

सावन[ कुण्डलिया ]

सावन आया झूम के,देखो लाया तीज
रंगबिरंगी ओढ़नी, पहन रही है रीझ
पहन रही है रीझ, हार कंगन झाँझरिया
जुत्ती तिल्लेदार, आज लाये साँवरिया
उड़ती जाय पतंग, लगे अम्बर मनभावन
झूलें मिलकर पींग, झूम के आया सावन
 .................

बरखा रानी आ गई ,लेकर बदरा श्याम |
धरा आज है पी रही ,भर भर घट के जाम|| 
भर भर घट के जाम , हरियाली है छा गई |
महक बिखेरें फूल , सावन रुत है आ गई  ||
लोग हुए खुशहाल ,चला जीवन का चरखा |
खुश हुए हैं बालक, मेघा ले आय बरखा ||
.................

5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!सावन का ख़ूबसूरत चित्रण ...आभार

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  2. सुन्दर बरखा वर्णन....

    भर भर घट के जाम||----- जाम और घट लगभग समानार्थक शब्द हैं....एसा प्रतीत होता है कि घट कोइ पेय पदार्थ है जिसके जाम पिए जारहे हैं.....हाँ ---भर भर घट से जाम .. उचित हो सकता है...

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  3. बहुत बढ़िया आदरणीया
    बधाई-
    रंगबिरंगी ओढ़नी,
    धानी मस्त समीज
    रही मजे में भीज

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया -
    क्या गेयता पर कुछ फर्क पड़ा है -
    यदि उचित समझें तो कुछ ऐसा कर लें-
    सादर-

    बरखा रानी आ गई ,लेकर बदरा श्याम |
    धरा मजे से पी रही ,भर भर घट के जाम||
    भर भर घट के जाम , हर्ष हरियाली छाई |
    महक बिखेरें फूल , मस्त रुत सावन आई ||
    जीव जंतु खुशहाल ,चला जीवन का चरखा |
    हर्षित बालाबाल, मेघ ले आये बरखा ||

    जवाब देंहटाएं

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