होली के त्योहार पर, बरसें रंग हजार |
शत्रु-मित्र हर एक का, पाएं अदभुत प्यार |
पाएं अदभुत प्यार, छ्टा हो रंग - बिरंगी,
रहे आप से दूर, दुष्ट - मन हर हुड़्दंगी |
कहे 'राजकवि' खेलें,जमकर आँख मिचौली,
होली पर हों, क्लेशहीन-सतरंगी होली |
-०-
होली पर अपना रखें, नियमित हर आचार |
हर हुड़दंगी से रखें, प्रेम - पूर्ण व्यवहार |
प्रेम - पूर्ण व्यवहार, नहीं उलझें - उलझाएं,
नशेबाज से दूर रहें, अति निकट न जाएं |
कहे 'राजकवि' होली पर कविता की चोली ,
जन-मानस में बाँट, मनाली अपनी होली |
सुन्दर प्रस्तुति ....!!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बृहस्पतिवार (18-07-2013) को में” हमारी शिक्षा प्रणाली कहाँ ले जा रही है हमें ? ( चर्चा - 1310 ) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदर सहित आभार | स्नेह बनाए रखें |
जवाब देंहटाएंसुन्दर होली छंद.....
जवाब देंहटाएंउत्साह वर्धन के लिए आपका आभार स्नेह निरंतर रखें |
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..अभिव्यंजना में..मेरी नई पोस्ट."कदम धरती पर ,मन में आसमान हो"
जवाब देंहटाएंकृपा है आपकी स्नेह बनाए रखने की कृपा करें
हटाएं