अबला नारी को कहें, उनको मूर्ख जान
नारी से है जग बढ़ा ,नारी नर की खान
नारी नर की खान ,प्यार बलिदान दिया है
नारी नहिं असहाय ,मर्म ने विवश किया है
पाकर अनुपम स्नेह ,बनेगी नारी सबला
नर जो ना दे घाव ,रहे कैसे वह अबला
........................
वाह !!! बहुत उम्दा,सुंदर सृजन,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अभी भी आशा है,
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंसुन्दर-
जवाब देंहटाएंमूरख=५ मात्रा
मूर्ख=४मात्र
सादर
आदरणीय, मेरी जानकारी के अनुसार ...
हटाएंमूरख = 2 + 1 + 1 = 4 मात्रा
मूर्ख = 2 + 1 = 3 मात्रा
सादर
आदरणीय, मेरी जानकारी के अनुसार ...
हटाएंमूरख = 2 + 1 + 1 = 4 मात्रा
मूर्ख = 2 + 1 = 3 मात्रा
सादर
आदरणीया सरिता भाटिया जी, शानदार कुण्डलिया छंद के लिये बधाई स्वीकार कीजिये.
जवाब देंहटाएं[उनको मूर्ख जान , में 10 मात्रायें हो रही हैं. इसे "उनको मूरख जान" लिखने से 11 मात्रायें होंगी.]
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंजी सभी गुरुजनों को प्रणाम
जवाब देंहटाएंसुधार समझ लिया है शुक्रिया
सभी का शुक्रिया
सही कहा है नारी से ही नर का अस्तित्व है ! नर चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए लेकिन नारी से बड़ा नहीं हो सकता है !!
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव...
जवाब देंहटाएंएक नजर इधर भी...
यही तोसंसार है...
सुन्दर कुंडली है...
जवाब देंहटाएं---निगम जी से सहमत ... आवश्यक परिवर्तन कर लें ...तथा,,
---अबला नारी को कहें .....गति में अवरोध है एवं अर्थ प्रतीति में भी अवरोध है अतः " नारी को अबला कहें .." अधिक स्पष्ट होगा...
----उनको मूर्ख जान = उनको मूरख जान ...