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मंगलवार, 2 जुलाई 2013

राजनैतिक दोहे


आज़ादी है मुल्क में,करता रह विस्फोट |
सत्ता को लाशें नहीं,गिनने हैं कुछ वोट 

कब्रगाह में हो गया,पूर्ण नगर तब्दील |
नेता मंचों पर खड़े, देते  रहे  दलील |

हर हत्या के बाद वे, ला कठोर प्रस्ताव |
राजधर्म का कर रहे,कितना सही निभाव |

आतंकी विस्फोट का, इतना हुआ प्रभाव |
वीर बनें, धीरज धरें, देते  रहे  सुझाव |

हिंसा,हत्या,सिसकियां,आंसू और आतंक |
सब का यही भविष्य है,राजा हो या रंक |

गोली,कर्फ्यू,लाठियां  और दंगों  के दृष्य |
लोकतंत्र का हो गया,निश्चित यही भविष्य |

हिंसा,भय,आतंक से,दिवस न खाली जाय |
चाकू,फरसे,खुखरियां, बने शांति   पर्याय |

सौदे, साज़िश-सैकड़ों, धमकी  और मलाल |
देकर अपने देश को,  सत्ता    रहे  संभाल |

जन विकास के खेल को,देखें होकर    मौन |
अंधों को टी.वी.मिलें, बहरे   पायें    फोन |

आज़ादी के बाद से, ऐसा    हुआ   विकास |
पहले जो था पास में, नहीं रहा कुछ   पास |

डा.राज सक्सेना 

12 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तम दोहे ....सटीक प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं
  2. वर्जना का अर्थ पाबन्दी होता है मित्र!
    पाबन्दियों के साथ बहुत बढ़िया दोहे प्रस्तित किये हैं आपने...

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के .१२९५ ....... जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर दोहे
    पर सावधान
    इसे मौजूदा सरकार ने पढ़ लिया है

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर और सटीक दोहे...

    जवाब देंहटाएं

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