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"मनहरण घनाक्षरी छन्द विधान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज शुक्रवार (19-07-2013) को स्वर्ग पिता को भेज, लिया पति से छुटकारा -चर्चा मंच 1311 पर "मयंक का कोना" में भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार सहित धन्यवाद
हटाएंउत्तम -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
आप सरीखे गुणीजनों का आशीर्वाद मेरे लिए संजीवनी है
हटाएंप्रत्युत्तर देंहटाएं
मोदी ने जब तानकर, छोड़ दिए कुछ तीर |
हटाएंभन्नाए से घूमते, सुन कर कई वजीर |
सुन कर कई वजीर, फाड़ते रोकर छाती,
बुरका, पप्पी बाँध गले से, चपर-कनाती |
कहे 'राज' कवि-मित्र, लिए पप्पी को गोदी,
चक्कर में सरकार, मस्त- मुस्काता मोदी |
मोदी कहते इकवचन, दे धिक् धिक् धिक्कार |
कई प्रवक्ता बहुवचन, थोथा शब्द प्रहार |
थोथा शब्द प्रहार, सारवर्जित सा सारे |
प्रवचन कर अखबार, मीडिया भी बेचारे |
विश्वसनीयता आज, सभी ने अपनी खो दी |
शुभ कुण्डलियाँ राज, राज पायेगा मोदी ||
वाह वाह
जवाब देंहटाएंवाकई मोदी के तीर बिलकुल निशाने पर लगे हैं
आप सरीखे गुणीजनों का आशीर्वाद मेरे लिए संजीवनी है
जवाब देंहटाएंkya bat hai....sahi kaha
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
जवाब देंहटाएंबौखलाहट और कैसे निकालें ,बस ऊल-जलूल बकेंगे !
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