बरखा छम छम आ गई ,लेकर सुखद फुहार
सावन के झूले पड़े ,कोयल करे पुकार
कोयल करे पुकार ,सबहीं का चित चुराए
मीठे मीठे आम ,सभी के मन को भाए
सखि ना झूला सोहि , ना ही चले अब चरखा
कोयल करे पुकार ,सबहीं का चित चुराए
मीठे मीठे आम ,सभी के मन को भाए
सखि ना झूला सोहि , ना ही चले अब चरखा
अभी सजन ना आय , आ गई है रुत बरखा
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सुंदर
जवाब देंहटाएं--- सुन्दर कुण्डलिया ....
जवाब देंहटाएंना ही चले अब चरखा .... गति भंग होती है = चले ना ही अब चरखा ... रख सकते हैं...
बहुत बढ़िया ,प्रिय सरिता जी
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