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शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

"बिटिया कोहेनूर है" (दिलबाग विर्क)

बाँहे फैलाए तुझे , बिटिया रही पुकार
तुम जालिम बनना नहीं ,वो मांगे बस प्यार । 

निश्छल , मोहक , पाक है , देखो ये मुस्कान 
भूलें हमको गम सभी , जाएं जीत जहान । 

मत मारो तुम गर्भ में , बिटिया घर की शान 
ये चिड़िया-सी चहककर , करती दूर थकान । 

बिटिया कोहेनूर है , फैला रही प्रकाश 
धरती है जन्नत बनी , पुलकित है आकाश । 

तुम बेटी के जन्म पर , होना नहीं उदास 
गले मिले जब दौडकर , मिट जाते सब त्रास । 

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