दरकीं रिश्तेदारियां, नाते सब विद्रूप |
स्वारथ ने बांटी सुबह, मुट्टी-मुट्ठी धुप ||
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बदल गईं गर्माहटे, ठंडे मन के मेल |
सहमी प्रीत निभा रही, सम्बन्धों के खेल ||
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रिश्ते छोटे हो गए, बड़ी हो गई नाक |
रिश्ते को अब प्रीत ने, देदीं तीन तलाक ||
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किया समर्पण प्रीत ने, नहीं लगाई देर |
स्वारथ जी को चुन लिया,यही समय का फेर ||
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बल-विहीन रिश्ते हुए, चल कर सीधी चाल |
स्वारथ जी मुखिया बने, कर के कई बवाल ||
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प्रीति-रीति दुर्बल हुई, भौतिकता मजबूत |
सन्तति नौकर पालते, भूत बांटते पूत ||
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रिश्ते निर्धन हो गए, प्रीत गई है रीत |
स्वारथ जी मोटे हुए, चल कुचक्र की नीति ||
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निर्बल रिश्ते मांगते, सम्बन्धों की भीख |
हर बस्ती बहरी बनी, सुनकर उनकी चीख ||
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टूटे रिश्ते हेरते, उगते लाल गुलाब |
किस मरुथल में जा छिपे,रिश्तों के सैलाब ||
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रिश्ता हर उलझा मिला, तोड़ प्रीत की डोर |
नातों की चादर मिली, स्वार्थ-पुरम में भोर ||
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टूट गए सम्बन्ध सब, बिखरी प्रीत नकोर |
नाते सारे चल पड़े , स्वार्थ-रत्न की ओर ||
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रिश्ते छोटे हो गए, स्वार्थ बने अब उच्च |
अंकल जी के सामने, चाचा जी हैं तुच्छ ||
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पश्चिम के इनलाज ने, ठोकी ऐसी कील |
धीरे - धीरे बुझ गई, रिश्तों की कंदील ||
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इस इनला ने कर दिए, रिश्ते सब बरबाद |
सही समझने पूछते, साला है दामाद ||
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कजिन शब्द ने देश के, रिश्ते किये तमाम |
रिश्तेदारी के सभी, शब्द किए बदनाम ||
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मौसा,फूफा,ताऊ को, अंकल जी अब लील |
भारत की संस्कृति में, करा रहे गुड फील ||
भारत की संस्कृति में, करा रहे गुड फील ||
रिश्तों का मर्म बताते हुए सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंआभार!
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11/07/2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
बहुत अच्छे बनावटी रिश्तों की पोल खोलते सुन्दर सटीक दोहे हार्दिक बधाई आदरणीय राज सक्सेना जी
जवाब देंहटाएंवाह सच बताते दोहे
जवाब देंहटाएंरिश्तों की बारीकियाँ, वर्तमान का रूप
जवाब देंहटाएंकहीं प्रात है रेशमी,कहीं चिलकती धूप ||
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर सच बताते दोहे
मन भावन दोहे .. रिश्तों का सार लिए ...
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