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सोमवार, 24 अगस्त 2020

Bhai Chara / भाईचारा / Brother Hood

Bhai-Chara-Brother-Hood

Bhai Chara / भाईचारा / Brother Hood


Bhai Chara / भाईचारा / Brother Hood


क्या गजब है देशप्रेम,
क्या स्वर्णिम इतिहास हमारा है|
अजब-गजब कि मिलती मिसालें,
क्या अद्भुत भाईचारा है||

जब भी दुश्मन आता सरहद पर,
हमें देशप्रेम बुलाता है|
माँ भारती कि आन-बान को,
हर भारतवासी मर-मिट जाता है||

जब सैनिक भारत माँ कि रक्षा को,
सीने पर गोली खाता है|
हर भारतवासी के सीने को,
वो लहूलुहान कर जाता है||

जब जब आई है विपदा हम पर,
हम कंधे से कंधा मिलाते है|
हम भारत माँ और उन वीर सपूतो के,
वंदन को शीश झुकाते है||

वीर सपूतो के बलिदानों पर,
हर भारत वासी हारा है|
हम माँ भारती कि संताने है,
और हिंदुस्तान हमारा है||

क्या अद्भुत भाईचारा है||



ऋषभ शुक्ला

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रविवार, 2 अगस्त 2020

अगस्त पाँच को दीवाली मनने वाली (विनीता अग्निहोत्री)

विनीता अग्निहोत्री की कविता
अगस्त पाँच को दीवाली है मनने वाली
फिर से भूमि अयोध्या की है सजने वाली

खूब बजेंगे शंख-ढोल, मंजीरे-थाली
चातक मोर-पपीहा धुन गायेंगे मतवाली

झूम उठेगी फिर सरयू के तट हरियाली
अब शुभ वेला की तारीख न जाये टाली

गाओ नाचों और बजाओ दिल से ताली
दीप जलेंगे खुशियों के तो हो जायेगी दीवाली

साधू-सन्त मिटा देंगे अब रजनी काली
बोलो जय श्रीराम पियो मधु रस की प्याली
- विनीता अग्निहोत्री

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास) - सुधीर मौर्य

म्मीर हठ Hammir Hath
शीघ्र प्रकाश्य ऐतहासिक उपन्यास #हम्मीर_हठ से
‘मरहठ्ठी बेगम तुम क्या खुशनसीबी और वक़्त की फेर की बात कर रही हो जबकि सच तो ये है कि आज सारी ज़मीन पर कहीं भी कोई भी तलवारे अलाई का मुकाबला करने की हिम्मत और हिक़ामत नहीं कर सकता।’
कह कर सुल्तान अलाउद्दीन खिलज़ी हंस पड़ा। दम्भी और वहशी हंसी। देवी छिताई कुछ क्षण उसकी वाहिशयानी हंसी देखती रही और पैतरा बदल के वही ज़मीन पर दोनों घुटने मोड़ के उन पर अपने स्थूल नितम्बो के सहारे बैठते हुए किसी बिफरी हुई शेरनी की भांति दहाड़ते हुए बोली ‘हाँ सुलतान ये तुम्हारी और तुम्हारी तलवारे अलाई दोनों की खुशकिस्मती है और वक़्त का फेर है कि तुम्हारा सामना चन्द्रगुप्त मौर्य से नहीं हुआ। जब उनके सामने वास्तविक सिकंदर न टिक सका तो खुद को सिकंदर सानी नाम से तसल्ली देने वाले तुम कैसे टिक पाते।’
‘अच्छा हुआ सुल्ताने हिन्द तुम्हारा सामना समय की चाल के सौभाग्य से ‘समुद्रगुप्त और १६ वर्ष की आयु में हुणों को खदेड़ने वाले स्कंदगुप्त से नहीं हुआ। सच तुम्हारी किस्मत बाबुलंद है जो विक्रमादित्य, हर्षवर्धन और पुलिकेशन दवतीय से तुम्हारा सामना नहीं हुआ नहीं तो तुम्हारी तलवारे अलाई को चूर्ण में परिवर्तित कर दिया गया होता। तुम्हारी किस्मत का सच में रोशन हे मेरे पतिदेव जो तुम्हारे सामने बाप्पा रावल और नागभट्ट नहीं आये नहीं तो….।’
–सुधीर मौर्य

रविवार, 16 फ़रवरी 2020

निमंत्रण पत्र ...लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त

निमंत्रण पत्र ...लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त

लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त

                                              

   अखिल भारतीय अगीत परिषद् एवं नव सृजन सांस्कृतिक संस्था लखनऊ द्वारा प्रकाशित   डा श्याम गुप्त    अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' एवं डा श्याम गुप्त की तीन कृतियों --तुम तुम और तुम --प्रेम  व श्रृंगार गीत संग्रह ...पीर ज़माने की ---ग़ज़ल संग्रह एवं ईशोपनिषद का काव्य भावानुवाद ,....का  
---------लोकार्पण समारोह दिनांक २२ फरवरी २०२० शनिवार को यू पी प्रेस क्लब हज़रत गंज लखनऊ में सायं ४ बजे | सभी आमंत्रित हैं......


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मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा--डॉ.श्याम गुप्त

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