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शनिवार, 13 जुलाई 2013

नव-वर्ष के सरल दोहे



जैसा बीता जा लिया,सिकुड़ सिमट गत वर्ष |
जग का सारा तम हरे, यह आगत नव वर्ष ||
-०-
प्रभु से है ये प्रार्थना, लड़ा  न जाए युद्ध |
सब अपने में मस्त हों, हो विचार हर शुद्ध || 
-०-
दुर्बुद्धि हर नष्ट हो, बन कर रहें प्रबुद्ध |
सब जन कुमति निवार कर,करें धारणा शुद्ध ||
-०-
नये वर्ष में हो नया, इस जग का निर्माण |
नव-प्रगति के रास्ते, हो दुखियों का  त्राण ||
-०-
नया वर्ष नव कल्पना, रचें नया इतिहास |
छल,फरेब,धोखाधड़ी, फटक न पाए पास ||
-०-
नए वर्ष में न मिले, कोई कठिन मुकाम |
थोड़े सबल प्रयास से, बन जाएं सब काम ||
-०-
कठिन अगर कुछ कार्य हों, हो जाएं सब सिद्ध |
नए वर्ष में आपको, मिले सिद्धि और रिद्धि ||
-०-
पथ की हर बाधा हटे, पूर्ण सभी हों काज |
बिन विलम्ब होते रहे, कल के होते आज ||
-०-
प्रखर तीव्र गति से बढ़ें,रिद्धि-सिद्धि सब नित्य |
नित्य नये आयाम पर, चढ़े भाग्य आदित्य ||
-०-
गया वर्ष सब ले गया, कुटिल,कष्ट,संताप |
नए वर्ष निश्चित रहें, हंसी-ख़ुशी से आप ||  

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