दोहा छंद, शिल्प - इसमें दो पद होते है और प्रयेक यति तेरह और ग्यारह की मात्रा पर होती है।
[दोहा छंद की रचना क्रिकेट विषय पर की गयी है]
पच्छम मग से खेल यह, लाये थे अंग्रेज
देशज थाती त्याग हम, उनके लिए सहेज
भूले डंडा गुल्लियाँ, कंचा और गुलेल
शेष और जो खेल थे, वे अब बेंचे तेल
छोटे मोटे खेल से, खेला यही महान
देख सखी री संग में, पैसों भरी खदान
इसके कितने फायदे, आता सुबहो शाम
वे गलियाँ सुनसान है, जिन पर लगता जाम
गीतिका 'वेदिका'
बहुत बढ़िया आदरणीया -
जवाब देंहटाएंसट्टा बट्टा दे लगा, खट्टा है घुड-दौड़ |
हुई लाटरी बंद जो, ताश जुआं भी गौण |
ताश जुआं भी गौण, आज यह क्रिकेट छाया |
दर्शक भरसक दूर, खिलाड़ी दांव लगाया |
अफसर अंडर-वर्ल्ड, एक थैली का चट्टा |
नया मिला यह काम, खेल रोजाना सट्टा |
|
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04/07/2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
धन्यवाद
उपयोगी दोहे..!
जवाब देंहटाएंसमीक्षा जल्दी ही की जायेगी!
गीतिका 'वेदिका' जी आपका आभार!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (04-07-2013) को सोचने की फुर्सत किसे है ? ( चर्चा - 1296 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही मस्त हैं सभी दोहे ...
जवाब देंहटाएं