"रजत जयंती स्वर्ण बनाओ"
एक दूजे से प्यार बहुत
दुनिया में दीवार बहुत
किसने किसको दी तरजीह
वैसे तो अधिकार बहुत
लगता कम खुशियों के पल हैं
पर उसमे श्रृंगार बहुत
देखोगे नीचे संग में तो
जीने का आधार बहुत
एक दूजे के रंग में रंगकर
खुशियों का संसार बहुत
कुसुम कामना अनुपम जोडी
सदियों तक हों प्यार बहुत
रजत जयंती स्वर्ण बनाओ
जीवन की रफ़्तार बहुत
-कुसुम ठाकुर-
आपकी रचना बहुत सुन्दर है बहन जी!
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लेकिन अभी कुण्डलिया छन्द चल रहा है।
कुण्डलिया से सम्बन्धित भी कुछ पोस्ट कीजिए न!
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंरचना
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