भौतिक साधन प्राप्त हों, मिले साथ में धर्म |
जनहित सेवा भाव से, करें नये नित कर्म ||
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नये वर्ष में ना मिले, मित्र - जनों को कष्ट |
सुख,समृद्धि,सुरक्षा मिले, हर पीड़ा हो नष्ट ||
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सीढी प्रगति की चढ़े, चढ़े जगत में मान |
बढ़े समझ सदभावना ,उच्चसोच और शान ||
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जीवन भर सोचे सभी,सिद्ध-सफल हों काम |
सिक्के सा चलता रहे, खरा आप का नाम ||
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काम,क्रोध,मद,लोभ का, नीचा रहे ललाट |
शत्रु नाश स्वमेव हो, छल-छंदों को काट ||
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बुरे काम ना खर्च हो, कौड़ी और छदाम |
सद्कर्मों में खर्च हों, झोली भर-भर दाम ||
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मात-पिता और श्रेष्टजन, नित-नित दें आशीष |
हंसी-ख़ुशी हरदम मिले, दूर रहे हर टीस ||
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ईश-कृपा निश-दिन रहे, स्वत: बनें सब काम |
स्वर्णिम सा हर दिन कटे, कटे महकती शाम ||
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दुनिया के सब सुख मिलें, रहे न कोई कष्ट |
भरी ख़ुशी हरदम रहे, दुःख के पल हों नष्ट ||
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गये बरस के पृष्ट के, कर सब बंद हिसाब |
रिश्तों की इस वर्ष में,लिक्खें नई किताब ||
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गया वर्ष सब ले गया, कुटिल,कष्ट,संताप |
नए वर्ष यश-मान से, परिपूरित हों आप ||
सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंनये वर्ष में ना मिले, मित्र - जनों को कष्ट |
जवाब देंहटाएंसुख,समृद्धि,सुरक्षा मिले, हर पीड़ा हो नष्ट ||
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कृपया इस दोहे को जाँच लें।
सुन्दर प्रस्तुति...
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