श्याम स्मृति-जीवन व एश्वर्य...
आज हमारी युवा पीढी, जो भौतिकवादी पाश्चात्य विदेशी नैतिकता से प्रभावित है एवं जो 'हर काम समय पर ही होता है' तथा 'जल्द काम शैतान का' ..जैसी कहावतों आदि से इत्तेफाक नहीं रखती और भौतिक सुख-विलास व ऐश्वर्यमय जीवन को ही प्रगति व जीवन-उत्कर्ष समझती है..... अति भौतिकता की दौड़ में, अधिकाधिक कमाने व शीघ्रातिशीघ्र अमीर बनने की ललक में दिन-रात काम में जुटे रहती है |
सुबह -सुबह जल्दी-जल्दी निकल जाना, रात को देर से घर लौटना, घर पर भी मोबाइल पर दफ्तर-कार्य की बातें... न खाने का समय न नाश्ते का.... न संतान के साथ समय बिताने की फुर्सत |
यदि पशु -पक्षी के तरह सुबह-सुबह निकल जाना और देर शाम को अपने अपने कोटरों में लौट आना ही जीवन है तो सारे ऐश्वर्य का क्या ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें