बच्चो,
तुम इस देश के भविष्य हो,
तुम दिखते हो कभी,
भूखे, नंगे ||
कभी पेट की क्षुधा से,
बिलखते-रोते.
एक हाथ से पैंट को पकड़े,
दूजा रोटी को फैलाये ||
कभी मिल जाता है निवाला
तो कभी पेट पकड़ जाते लेट,
होली हो या दिवाली,
हो तिरस्कृत मिलता खाना ||
जब बच्चे ऐसे है,
तो देश का भविष्य कैसा होगा,
फिर भीबच्चो,
तुम ही इस देश के भविष्य हो ||
नोट :- सभी चित्र गूगल से लिए गए है |