यह ब्लॉग खोजें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
मेरी नवीन प्रकाशित पुस्तक---दिल की बात, गज़ल संग्रह ....डॉ. श्याम गुप्त
दिल की बात , गज़ल संग्रह का आत्मकथ्य – काव्य या साहित्य किसी विशेष , काल...
-
हार में है छिपा जीत का आचरण। सीखिए गीत से , गीत का व्याकरण।। बात कहने से पहले विचारो जरा मैल दर्पण का अपने उतारो जरा तन...
-
निमंत्रण पत्र ...लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ ...
-
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा-- ============ मेरे गीत-संकलन गीत बन कर ढल रहा हूं की डा श्याम बाबू गुप्त जी लखनऊ द्वारा समीक्षा आज उ...
बहुत खूब,सुंदर गजल ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - फागुन की शाम.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार गुरुदेव-
vaah vaah...
जवाब देंहटाएं---सुन्दर व भावपूर्ण शानदार ग़ज़ल .....
जवाब देंहटाएं--- यद्यपि ..तीन शेरों में काफिया भिन्नता है ..जिसे सही किया जा सकता है ...निम्नानुसार ...(परन्तु वस्तुत: तो इस काफिया भिन्नता से भी यहाँ इस ग़ज़ल के भाव, लय, गति, सुर व प्रवाह, भाव-सम्प्रेषण एवं श्रेष्ठता, सौन्दर्य पर कोइ अंतर नहीं पड रहा ...इसीलिये तकनीक को मैं सिर्फ २५% ही नंबर देता हूँ शेष को ७५%)...देखें...
पिरोना एकता के सूत्र में, = एक्य में पिरोया जाना
दमकता सा खरा कुन्दन, = खरा कुंदन सा होजाना
हमारा गुनगुनाना भी = हमारा गीत भी गाना ..
वाह बहुत सुदंर
जवाब देंहटाएंगजल लिखी आपने