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मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

श्याम स्मृति- ...पुराण कथाएं व मिथक ...... डा श्याम गुप्त....



श्याम स्मृति- ...पुराण कथाएं व मिथक ......

        धर्म के तीन स्तर होते हैं----१- तात्विक ज्ञान---(मेटाफिजिक्स )...२-नैतिक ज्ञान--(एथिक्स )...३-कर्मकांड  (राइचुअल्स)....मूलतः कर्मकांडों का जो जन-व्यवहार के लिए होते हैंजन सामान्य के लिए...... उन्ही में अज्ञान ( तात्विक व नैतिक भाव लोप होने से ) से अतिरेकता आजाने से वे आलोचना के आधार बन जाते हैं | भारतीय पुराण कथाएं मूलतः कर्मकांड विभाग में आती हैं ताकि जन-जनजनसामान्य को ईश्वर, दर्शन, धर्म, ज्ञान व संसार-व्यवहार की बातें सामान्य जनभाषा में बताई जा सकें |
           
  जब भी कोई व्यवस्था या  सभ्यता अत्यंत उन्नत होजाती है तो उसकी बातेंतथ्य व 
कथ्य स्वतः ही सूत्र व कूट रूप में होने लगते हैंसंक्षिप्तता की आवश्यकतानुसार आधुनिक उदाहरण लें जैसे--भारत के लिए शेर,आस्ट्रेलिया के लिए कंगारू कहना आज आम बात होगई है|                                                          
                    भारतीय  पुराण-कथाएं सदा अन्योक्ति,  कूट व सूत्र रूप में कही गयी हैं परन्तु उनके वास्तविक/तात्विक अर्थ व्यवहारिक, नीति-परक व सामाजिक नीति व्यवस्था के होते है अर्थ न समझने के कारण लोग उन्हें प्रायः कपोल-कल्पित कह कर  उनका उपहास भी करते हैं और हिन्दू सनातन-धर्म के उपहास के लिए उदाहरण भी | अंग्रेज़ी व पाश्चात्य संस्कृति व भाषाओं में पौराणिक कथाओं के लिए मिथ, मिथक, मिथक-कथाएं आदि शब्दों का प्रयोग  भी इसी अज्ञानता का परिचायक है| 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (23-04-2014) को जय माता दी बोल, हृदय नहिं हर्ष समाता; चर्चा मंच 1591 में अद्यतन लिंक पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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