ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ...भाव अरपन -सोरह --सवैया छंद --सुमन -२...पंचक श्याम सवैया
मेरे नवीनतम प्रकाशित ब्रजभाषा
काव्य संग्रह ..."
ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ
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श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नवगीत आदि मेरे ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में
प्रकाशित की जायंगी ... ....
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का
संग्रह )
रचयिता ---डा श्याम गुप्त
--- सुषमा गुप्ता
प्रस्तुत है .....भाव-अरपन .. सोरह,,,सुमन -२..पंचक श्याम सवैया ... ( वर्ण गणना ..पांच पंक्तियाँ )..प्रीति वही जो होय लला सौं जसुमति सुत कान्हा बनवारी |
रीति वही जो निभाई लला हैं दीननि के दुःख में दुखहारी |
नीति वही जो सुहाई लला दई ऊधो कौं शुचि सीख सुखारी |
सीख वही दई गोपिन कौं जब चीर हरे गोवर्धन धारी |
जीत वही हो धर्म की जीत रहें संग माधव कृष्णा मुरारी ||
शक्ति वही जो दिखाई कान्ह गोवरधन गिरि उंगरी पै धारो |
युक्ति वही जो निभाई कान्ह दुःख-दारिद ग्राम व देश को टारो |
उक्ति वही जो रचाई कान्ह करो नर कर्म न फल को विचारो |
भक्ति वही जो सिखाई कान्ह जब ऊधो को ज्ञान अहं ते उबारो |
तृप्ति वही श्री कृष्ण भजे भजे राधा-गोविन्द सोई नाम पियारो ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबधायी हो।
धन्यवाद शास्त्रीजी.....
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