बालकों को वर्णमाला कैसे सिखायें...
बहुत समय से हिन्दी व्याकरण पर कुछ लिखने का मन बना रहा था। परन्तु सोच रहा था कि लेख प्रारम्भ कहाँ से करूँ।
आज इस लेख की शुभारम्भ हिन्दी वर्ण-माला से ही करता हूँ।
मुझे खटीमा (उत्तराखण्ड) में छोटे बच्चों का विद्यालय चलाते हुए 32 वर्षों से अधिक का समय हो गया है।
शिशु कक्षा से ही हिन्दी वर्णमाला पढ़ाई जाती है।
हिन्दी स्वर हैं-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ए ऐ ओ औ अं अः।
यहाँ तक तो सब ठीक-ठाक ही लगता है।
लेकिन जब व्यञ्जन की बात आती है तो इसमें मुझे कुछ कमियाँ दिखाई देती हैं।
शुरू-शुरू में-
क ख ग घ ड.।
च छ ज झ ञ।
ट ठ ड ढ ण।
त थ द ध न।
प फ ब भ म।
य र ल व।
श ष स ह।
क्ष त्र ज्ञ।
पढ़ाया जाता है। जो आज भी सभी विद्यालयों में पढ़ाया जाता है।
उन दिनों एक दिन कक्षा-प्रथम के एक बालक ने मुझसे एक प्रश्न किया कि ड और ढ तो ठीक है परन्तु गुरू जी!
यह ड़ और ढ़
कहाँ से आ गया? कल तक तो पढ़ाया नही गया था।
प्रश्न विचारणीय था।
अतः अब 20 वर्षों से-
ट ठ ड ड़ ढ ढ़ ण।
मैं अपने विद्यालय में पढ़वा रहा हूँ।
आज तक हिन्दी के किसी विद्वान ने इसमें सुधार करने का प्रयास नही किया।
आजकल एक नई परिपाटी एन0सी0ई0आर0टी0 ने निकाली है। इसके पुस्तक रचयिताओं ने आधा अक्षर हटा कर केवल बिन्दी से ही काम चलाना शुरू कर दिया है। यानि व्याकरण का सत्यानाश कर दिया है।
हिन्दी व्यंजनों में-
कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग, अन्तस्थऔर ऊष्म का तो ज्ञान ही नही कराया जाता है। फिर आधे अक्षर का प्रयोग करना कहाँ से आयेगा?
हम तो बताते-बताते, लिखते-लिखते थक गये हैं परन्तु कहीं कोई सुनवाई नही है।
इसीलिए हिन्दुस्तानियों की
हिन्दी सबसे खराब है।
बिन्दु की जगह यदि आधा अक्षर प्रयोग में लाया जाये तभी तो नियमों का भी ज्ञान होगा। अन्यथा आधे अक्षर का प्रयोग करना तो आयेगा ही नही।
सत्य पूछा जाये तो अधिकांश हिन्दी की मास्टर डिग्री लिए हुए लोग भी आधे अक्षर के प्रयोग को नही जानते हैं।
नियम बड़ा सीधा और सरल सा है-
किसी भी परिवार में अपने कुल के बालक को ही चड्ढी लिया जाता है यानि पीठ पर बैठाया जाता है। अतः यदि आधे अक्षर को प्रयोग में लाना है तो जिस कुल या वर्ग का अक्षर बिन्दी के अन्त में आता है उसी कुल या वर्ग व्यंजन का अन्त का यानि पंचमाक्षर आधे अक्षर के रूप में प्रयोग करना चाहिए।
उदाहरण के लिए -
झण्डा लिखते हैं तो इसमें ण का आधा अक्षर ड की पीठ पर बैठा है। अर्थातटवर्ग का ही ड अक्षर है। इसलिए आधे अक्षर के रूप में इसी वर्ग का णका आधा अक्षर प्रयोग में लाना सही होगा। परन्तु आजकल तो बिन्दी से ही झंडा लिखकर काम चला लेते है। फिर व्याकरण का ज्ञान कैसे होगा?
इसी तरह मन्द लिखना है तो इसे अगर मंद लिखेंगे तो यह तो व्याकरण की दृष्टि से गलत हो जायेगा।
अब बात आती है संयुक्ताक्षर की-
जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि ये अक्षर तो दो वर्णो को मिला कर बने हैं। इसलिए इन्हें वर्णमाला में किसी भी दृष्टि से सम्मिलित करना उचित नही है।
समय मिला तो अगली बार कई मित्रों की माँग पर हिन्दी में कविता लिखने वाले अपने मित्रों के लिए गणों की चर्चा अवश्य करूँगा।
|
---|
यह ब्लॉग खोजें
मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015
"हिन्दी वर्णमाला कैसे पढ़ायें..." (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
मेरी नवीन प्रकाशित पुस्तक---दिल की बात, गज़ल संग्रह ....डॉ. श्याम गुप्त
दिल की बात , गज़ल संग्रह का आत्मकथ्य – काव्य या साहित्य किसी विशेष , काल...
-
निमंत्रण पत्र ...लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ 'अमृत कलश' -----डा श्याम गुप्त लोकार्पण समारोह----- अभिनन्दन ग्रन्थ ...
-
हार में है छिपा जीत का आचरण। सीखिए गीत से , गीत का व्याकरण।। बात कहने से पहले विचारो जरा मैल दर्पण का अपने उतारो जरा तन...
-
मेरे द्वारा की गयी पुस्तक समीक्षा-- ============ मेरे गीत-संकलन गीत बन कर ढल रहा हूं की डा श्याम बाबू गुप्त जी लखनऊ द्वारा समीक्षा आज उ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें