यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

"फागुन सबके मन भाया है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

होली आई, होली आई
गुजिया, मठरी, बरफी लाई।।
मीठे-मीठे शक्करपारे।
सजे -धजे पापड़ हैं सारे।।
चिप्स कुरकुरे और करारे।
दहीबड़े हैं प्यारे-प्यारे।।

तन-मन में मस्ती उभरी है।
पिस्ता बरफी हरी-भरी है।।

पीले, हरे गुलाल लाल हैं।
रंगों से सज गये थाल हैं।।
 
कितने सुन्दर, कितने चंचल।
हाथों में होली की हलचल।। 
होली का मौसम आया है। 
फागुन सबके मन भाया है।।

1 टिप्पणी:

फ़ॉलोअर

मेरी नवीन प्रकाशित पुस्तक---दिल की बात, गज़ल संग्रह ....डॉ. श्याम गुप्त

                                 दिल की बात , गज़ल संग्रह   का   आत्मकथ्य –                            काव्य या साहित्य किसी विशेष , काल...