बहारों
की लहर डोली कि आज होली है ।
रंग
उडाती घूमे टोली कि आज होली है ।
रंग
बिखराए थे सब और ही फिजाओं ने,
फगुनाई
पवन बोली कि आज होली है ।
ढोलक
की थाप पर थिरकते थे सभी लोग,
भीगे
तन-मन लगी रोली कि आज होली है ।
उड़ता था
हवाओं में अबीर-गुलाल का नशा ,
सकुचाये
कसी चोली कि आज होली है ।
बौराई
सी घूमे वो नयी नवेली दुल्हन,
घर भर
को चढी ठिठोली कि आज होली है ।,
ख्यालों
में उनके हम तो खोये थे इस कदर,
कानों
खबर न डोली
कि
आज होली है ।
चुपके से बोले, आज तो रंग लीजिये हुज़ूर,
मिसरी सी कानों
घोली कि आज होली है ।
इतरा
मल दिया जब मुख पर गुलाल श्याम,
तन मन
खिली रंगोली कि आज होली है ।।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय पहेली चर्चा चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रविकर....
हटाएं"राजू ! ऐ राजू !!"
जवाब देंहटाएंराजू : -- हाँ मासर जी !
देख ये पहला वाला रंग रानी है"
राजू : -- हाँ ! मास्टरजी !
" दुसरा चौथा लाल है तीसरा नीला है"
राजू : -- हाँ ! मास्टर जी !
"पांचवा हरा है"
राजू : -- हाँ ! मास्टर जी !
" सातवां काला है"
राजू : -- मास्टर जी ! आप भी हिटलर जैसे बातें मनवाते हैं, जो आप कहेंगे सब वोई होगा का.....
वाह ..क्या रंगीन टिप्पणी है ...धन्यवाद नीतू जी....
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (19-03-2014) को समाचार आरोग्य, करे यह चर्चा रविकर : चर्चा मंच 1556 पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी....
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