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शनिवार, 13 दिसंबर 2014

राष्ट्रीय ग्रन्थ --डा श्याम गुप्त.....

राष्ट्रीय ग्रन्थ

हम कितने मूर्ख हैं जो विश्व की धरोहर महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता बनाकर सीमित किये दे रहे हैं, बिना मतलब के ही शून्य का आविष्कार भारत में हुआ, अंक को हिन्दसा कहा जाता है, नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, टेगोर, चंद्रशेखर, हॉकी के जादूगर ध्यानचंद, क्रिकेट के बादशाह सचिन, गावस्कर एवं फिल्मों के शहंशाह अमिताभ बच्चन, सुर साम्राज्ञी लता को भारतीय मानने में गौरव का अनुभव करके उनका सम्मान कम करते हैं, जबकि ये सभी अंतर्राष्ट्रीय विभूतियाँ हैं देश व काल से परे | यदि इन तथाकथित पढ़े-लिखे छद्म-सेकुलर लोगों की बात मानी जाय तो इन सबको भारतीय गौरव होने से बंचित कर दिया जाना चाहिए |

निश्चय ही गीता मानव इतिहास का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है जो देश, काल व किसी भी कोटि से ऊपर अंतर्राष्ट्रीय व सार्वभौमिक ग्रन्थ है, परन्तु वह भारत एवं भारतीय सभ्यता-संस्कृति की उपज है, धरोहर है | वह क्यों नहीं राष्ट्रीय ग्रन्थ हो सकता, ताकि वर्तमान पीढी ( जो विदेशी चकाचौंध में स्वयं के गौरव को भूल चुकी है) व आने वाली पीढी स्वयं पर गौरव कर सके |

हम कब अपनी तरह से सोचेंगे समझेंगे |

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (14-12-2014) को "धैर्य रख मधुमास भी तो आस पास है" (चर्चा-1827) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. Sundar prastutee yaha bhi padhare.......

    http://kahaniyadilse.blogspot.in/
    http://hindikavitamanch.blogspot.in/

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