पुस्तक मेला में---
****अखिल भारतीय अगीत परिषद् की राष्ट्रीय गोष्ठी एवं डा श्यामगुप्त की सद्य प्रकाशित पुस्तक अगीत-त्रयी का लोकार्पण संपन्न ***
२९-९-१६ को १४वे पुस्तक मेला, लखनऊ, मोतीमहल लान में अखिल भारतीय अगीत परिषद् के तत्वावधान में वृहद् राष्ट्रीय एवं नारी शक्ति को समर्पित काव्य गोष्ठी संपन्न हुई | समारोह में डा श्यामगुप्त की सद्य प्रकाशित पुस्तक अगीत-त्रयी का लोकार्पण एवं विवेचना की गयी | समारोह के अध्यक्ष साहित्यभूषण डा रंगनाथ सत्य मुख्य-अतिथि प्रोफ ओमप्रकाश पांडे, पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग लविवि एवं विशिष्ट अतिथि श्री सुलतान शाकिर हाशमी पूर्व सदस्य केन्द्रीय लोक सेवा आयोग, सुप्रसिद्ध उर्दू, हिन्दी व ब्रज भाषा के साहित्यकार एवं श्री रामचंद्र शुक्ल पूर्व न्यायाधीश थे |
२९-९-१६ को १४वे पुस्तक मेला, लखनऊ, मोतीमहल लान में अखिल भारतीय अगीत परिषद् के तत्वावधान में वृहद् राष्ट्रीय एवं नारी शक्ति को समर्पित काव्य गोष्ठी संपन्न हुई | समारोह में डा श्यामगुप्त की सद्य प्रकाशित पुस्तक अगीत-त्रयी का लोकार्पण एवं विवेचना की गयी | समारोह के अध्यक्ष साहित्यभूषण डा रंगनाथ सत्य मुख्य-अतिथि प्रोफ ओमप्रकाश पांडे, पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग लविवि एवं विशिष्ट अतिथि श्री सुलतान शाकिर हाशमी पूर्व सदस्य केन्द्रीय लोक सेवा आयोग, सुप्रसिद्ध उर्दू, हिन्दी व ब्रज भाषा के साहित्यकार एवं श्री रामचंद्र शुक्ल पूर्व न्यायाधीश थे |
दीप प्रज्वलन के पश्चात श्री कुमार तरल, साहित्यभूषण श्री देवकी नंदन
शांत एवं श्रीमती सुषमा गुप्ता द्वारा वाणी वन्दना प्रस्तुत की गयी |
गोष्ठी का संचालन एवं मंच संचालन डा योगेश गुप्त ने किया | गोष्ठी में लगभग ६० कवियों ने अपनी विविध विषयक रचनाओं का पाठ किया | समारोह में विभिन्न कवियों को सम्मान-पत्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया भी गया |
लोकार्पित पुस्तक अगीत-त्रयी पर अपने वक्तव्य में डा श्यामगुप्त ने कृति के लिखे जाने की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपनी इससे पूर्व प्रकाशित पुस्तक अगीत का छंद विधान ‘अगीत साहित्य दर्पण’ जिसमें अगीत के विश्व भर में फैले कवियों, अगीत पर कृतियों, शोधों, आलेखों एवं अगीत के एतिहासिक वस्तुस्थिति एवं वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य का विस्तृत वर्णन किया गया था, साहित्य जगत को प्रस्तुत करने के पश्चात् डा रंगनाथ मिश्र सत्य एवं साहित्य जगत में यह अनुभव किया जारहा था कि इस अपूर्व कविता विधा अगीत के जो प्रमुख स्तम्भ हैं उनके बारे में भी तार-सप्तक की भांति एक कृति प्रस्तुत की जाय | उसी का प्रतिफल है प्रस्तुत कृति ‘अगीत-त्रयी’ जिसमें अगीत के संस्थापक डा रंगनाथ मिश्र सत्य, उसके प्रगतिकारक पं जगतनारायण पांडे एवं उसके सर्वांगीण उन्नायक डा श्याम गुप्त के विचार, वक्तव्य , व्यक्तित्व व कृतित्व एवं अगीत ३०-३० रचनाओं को संकलित किया गया है |
श्रीमती सुषमा गुप्ता ने अगीत-त्रयी पर अपने वक्तव्य में कहा कि ये तीनों कवि जिनका इस कृति में उल्लेख है कविता व साहित्य की प्रत्येक विधा गीत, छंद आदि में संपन्न व समर्पित होते हुए भी इन साहित्यकारों ने हिन्दी जगत को एक नवीन विधा प्रदान की जो आज राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय क्षितिज पर अगीत विधा के नाम से जानी जाती है | इसके लिए साहित्य जगत इनका सदैव आभारी रहेगा |
समारोह के मुख्य अतिथि के वक्तव्य में प्रोफ ओम प्रकाश पांडे ने स्पष्ट किया कि नारी सशक्तीकरण की बात सही है परन्तु इस देश में नारी कभी भी निशक्त नहीं रही | नारी के महत्ता व सदा-सशक्तता को रेखांकित करते हुए उन्होंने गार्गी–याज्ञवल्क एवं विद्यमा आदि विदुषी नारियों के व्यक्तित्व व कृतित्व का उल्लेख किया |
अध्यक्षीय वक्तव्य में डा रंगनाथ मिश्र सत्य ने अगीत-त्रयी पर विवेचनात्मक तथ्य प्रस्तुत करते हुए इसे साहित्य की महत्वपूर्ण कृति एवं विश्वविद्यालयों में अध्ययन के योग्य बताया |
अंत में डा योगेश ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन किया |
गोष्ठी का संचालन एवं मंच संचालन डा योगेश गुप्त ने किया | गोष्ठी में लगभग ६० कवियों ने अपनी विविध विषयक रचनाओं का पाठ किया | समारोह में विभिन्न कवियों को सम्मान-पत्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया भी गया |
लोकार्पित पुस्तक अगीत-त्रयी पर अपने वक्तव्य में डा श्यामगुप्त ने कृति के लिखे जाने की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपनी इससे पूर्व प्रकाशित पुस्तक अगीत का छंद विधान ‘अगीत साहित्य दर्पण’ जिसमें अगीत के विश्व भर में फैले कवियों, अगीत पर कृतियों, शोधों, आलेखों एवं अगीत के एतिहासिक वस्तुस्थिति एवं वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य का विस्तृत वर्णन किया गया था, साहित्य जगत को प्रस्तुत करने के पश्चात् डा रंगनाथ मिश्र सत्य एवं साहित्य जगत में यह अनुभव किया जारहा था कि इस अपूर्व कविता विधा अगीत के जो प्रमुख स्तम्भ हैं उनके बारे में भी तार-सप्तक की भांति एक कृति प्रस्तुत की जाय | उसी का प्रतिफल है प्रस्तुत कृति ‘अगीत-त्रयी’ जिसमें अगीत के संस्थापक डा रंगनाथ मिश्र सत्य, उसके प्रगतिकारक पं जगतनारायण पांडे एवं उसके सर्वांगीण उन्नायक डा श्याम गुप्त के विचार, वक्तव्य , व्यक्तित्व व कृतित्व एवं अगीत ३०-३० रचनाओं को संकलित किया गया है |
श्रीमती सुषमा गुप्ता ने अगीत-त्रयी पर अपने वक्तव्य में कहा कि ये तीनों कवि जिनका इस कृति में उल्लेख है कविता व साहित्य की प्रत्येक विधा गीत, छंद आदि में संपन्न व समर्पित होते हुए भी इन साहित्यकारों ने हिन्दी जगत को एक नवीन विधा प्रदान की जो आज राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय क्षितिज पर अगीत विधा के नाम से जानी जाती है | इसके लिए साहित्य जगत इनका सदैव आभारी रहेगा |
समारोह के मुख्य अतिथि के वक्तव्य में प्रोफ ओम प्रकाश पांडे ने स्पष्ट किया कि नारी सशक्तीकरण की बात सही है परन्तु इस देश में नारी कभी भी निशक्त नहीं रही | नारी के महत्ता व सदा-सशक्तता को रेखांकित करते हुए उन्होंने गार्गी–याज्ञवल्क एवं विद्यमा आदि विदुषी नारियों के व्यक्तित्व व कृतित्व का उल्लेख किया |
अध्यक्षीय वक्तव्य में डा रंगनाथ मिश्र सत्य ने अगीत-त्रयी पर विवेचनात्मक तथ्य प्रस्तुत करते हुए इसे साहित्य की महत्वपूर्ण कृति एवं विश्वविद्यालयों में अध्ययन के योग्य बताया |
अंत में डा योगेश ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन किया |
माँ का माल्यार्पण |
अगीत त्रयी का लोकार्पण |
उपस्थित जन |
सम्मानित साहित्यकार |
प्रोफ ओम प्रकाश पांडे का अध्यक्षीय वक्तव्य |
डा श्याम गुप्त अगीत-त्रयी पर विवेचना |
अध्यक्ष डा रंगनाथ मिश्र सत्य की विवेचना |
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