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शनिवार, 6 दिसंबर 2014

माँ ...........तेरे जाने के बाद






जब मै जन्मा तो मेरे लबो सबसे पहले तेरा नाम आया,
बचपन से जवानी तक हर पल तेरे साथ बिताया.
लेकिन पता नहीं तू कहा चली गयी रुशवा होकर,
की आज तक तेरा कोई पौगाम ना आया.
मै तो सोया हुआ था बेफिक्र होकर,
और जब जागा तो न तेरी ममता, ना तुझे पाया.
मुझसे क्या ऐसी खता हो गयी,
जिसकी सजा दी तूने ऐसी की मै सह ना पाया.
तू छोड़ गयी मुझे यु अकेला,
मै तो तुझे आखरी बार देख भी ना पाया.
तू तो मुझे एक पल भी छोड़ती नहीं थी,
फिर तूने इतना लम्बा अरसा कैसे बिताया.
तू इक बार आ जा मुझसे मिलने,
देखना चाहता हूँ माँ तेरी एक बार काया.

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-12-2014) को "6 दिसंबर का महत्व..भूल जाना अच्छा है" (चर्चा-1820) पर भी होगी।
    --
    सभी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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