अंदाज़े-वयां ज़िंदगी का....
जरूरी नहीं ज़िंदगी को घुट-घुट के जिया जाए |
चलो आज ज़िंदगी का अंदाज़े-वयां लिया जाए |
खुशी पाते हैं जो अपनी शर्तों पे जिया करते हैं ..
शर्त यही कि सदा परमार्थ हित जिया जाए ..|
यूं तो पीने के कितने बहाने हैं ज़माने में,
लुत्फ़ है जब जाम से जाम टकरा के पिया जाए |
मरते हैं हज़ारों लोग दुनिया में यूं तो लेकिन,
मौत वही यारो जब देश पे कुर्वां हुआ जाए |
जन्म लेते हैं, औ जीते हैं प्रतिदिन जाने कितने,
जीना वही जब राष्ट्र का सिर गर्वोन्नत किया जाए |
लिखी जाती हैं कितनी किताबें, कविता-कहानियां,
साहित्य वही कुछ सामाजिक सरोकार दिया जाए |
ग़ज़ल कह तो रहा है हर खासो-आम यहाँ, लेकिन
ग़ज़ल वही जब अंदाज़े-वयां श्याम का जिया जाए |
sundar rachana
जवाब देंहटाएंधन्यवाद..
हटाएंबहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गजल
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
हटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंUmda gazal !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद लेखिका जी, कैलाश जी,भारती, प्रतिभा, रविकर एवं ऋषभ ....
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