लाल रसीले होंठों से, आकर फरमान सुनाये फिर ।
नैन नशीले नीले ने, नाहक नुकसान कराये फिर ।
चोट लगाये सीने पे, फट गया कलेजा चूर हुआ-
हाथ हठीले धागा ले, सीने की खातिर आये फिर ॥
चिकित्सक दिवस पर एक कहानी ---डॉ. श्याम गुप्त ----- ------------------------------------ - पाल ले इक रोग नादां . .. ...
बहुत सुंदर रविकर जी ,,
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !
RECENT POST : समझ में आया बापू .
क्या बात है ..हाथ हठीले ....सुन्दर ..
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