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रविवार, 22 सितंबर 2013

हे निराकार!


                           


हे निराकार निर्गुण ,कहो कहाँ छुपे हो तुम 
ढूंढ़ु कहाँ बतलाओ ,किस रूप में हो तुम 
हर घड़ी बदलते अनन्त  रूप तुम्हारा
कुछ देर ठहरकर ,पहचान अपना कराओ तुम। 

पल पल बदलते रूप तुम्हारा 
पल पल बदलती तुम्हारी सत्ता 
पल पल बदलती तुम्हारी स्थिति 
पलपल बदलती हमारी जिंदगी।


तुम हो सर्वोपरि शिरोमणि सर्वशक्तिशाली 
तुम हो सर्वेश्वर सिरमौर सर्वक्षमताशाली
कृपासिंधु दीनबन्धु तुम हो परोपकारी
तुम हो शीलवन्त सर्वव्यापी सर्वगुणशाली।

कृपालु हो ,दयालु हो  ,हो तुम वनमाली 
गौ पर असीम कृपा तुम्हारा ,करते हो रखवाली 
सखा तुम्हारा समर्पित ,घर तुम्हारा जग सारा 
मुझे बना लो सेवक अपना ,करूँगा तुम्हारी रखवाली।


कालीपद "प्रसाद "

© सर्वाधिकार सुरक्षित
 



1 टिप्पणी:

  1. पहचान.. अपना... कराओ तुम। = अपनी
    असीम कृपा ..तुम्हारा....= तुम्हारी
    हे निराकार निर्गुण ,कहो कहाँ छुपे हो तुम -----निराकार , निर्गुण ...छुप कैसे सकता है...

    मुझे बना लो सेवक अपना ,करूँगा तुम्हारी रखवाली।---क्या भक्त-सेवक.... भगवान की रखवाली करेगा....???

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