उदयपुर..नाथद्वारा ...कोटा यात्रा ...भाग -३..कोटा ...
कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक एवं शैक्षणिक
शहर है। यह राजस्थान का पांचवां बड़ा शहर है | राजधानी जयपुर से लगभग २४० किलोमीटर दूर सडक एवं
रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है | दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है जहां
औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा अनेक किलों,
महलों, संग्रहालयों,
मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है।
यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा
मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के स्मारक प्राचीनता
का बोध कराते हैं वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और न्यूक्लियर पावर प्लान्ट
आधुनिकता का एहसास कराता है।
कंसुआ -- कन्व ऋषि का आश्रम
--छोटी सी नदी की धरा के किनारे अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर है |जिसे
शकुन्तला व दुष्यंत पुत्र भरत को पालने वाले कंव ऋषि का आश्रम कहा जाता है
| शकुंतला व भरत यहीं पीला थे यह तो निश्चित नहीं है | यहाँ चतुर्मुखी
शिवलिंग हैं जो एकलिंग शिव के प्रतीक लगते हैं एवं शिवलिंग के साथ बनी हुई
द्रोणी की बनावट से अत्यंत प्राचीन प्रतीत होती है|मंदिर भी अत्यंत पूरा
शैली का बना हुआ है |
कण्व ऋषि का आश्रम ,कंसुआ, कोटा |
अति-प्राचीन शिवलिंग -- चौकोर द्रोणिका |
प्राचीन-चतुर्मुखी शिवलिंग
वे विष्णु (उत्तर), सूर्य (पूर्व),
रुद्र
(दक्षिण), और ब्रह्मा (पश्चिम) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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पारद का शिवलिंग एवं नंदी |
ग्रेनाईट का १४ टन भार का शिवलिंग |
५२५ शिवलिंगों के मध्य चतुर्मुखी शिवलिंग |
दाड देवी -- खुले हुए मुख से दंतपंक्ति दिखाती हुई देवी की मूर्ति यहाँ स्थित है |
दाड देवी |
खिड़की पर कब्जा जमाये हुए हनुमान जी |
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हिन्दू मंदिर का सामाजिक सरोकार -गुटखा खाने वालों के लिए महा-बम्पर पुरस्कार योजना |
खड़े गणेश जी के मंदिर में |
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