...भाग १--नाथद्वारा .....ड़ा श्याम गुप्त
राजस्थान में कोटा में मेरे मित्र श्रीकांत त्रिपाठी काफी समय से कोटा आने को आमंत्रित
किये हुए थे | अतः नाथद्वारा साहित्य मंडल, राजस्थान द्वारा हिंदी दिवस १४ -९-१५ पर
मुझे 'हिन्दी साहित्य विभूषण की उपाधि' हेतु आमंत्रण किये जाने पर मैने इस अवसरको न गवाने का फैसला किया एवं सपत्नी उदयपुर
व कोटा भ्रमण का प्रोग्राम बनालिया |
|
नाथद्वारा- श्रीनाथ जी की प्रतिकृति |
नाथद्वारा ---१४/१५/१६ -९-१५ .
उदयपुर से 47 किलोमीटर उत्तरमें है| यहां श्रीनाथजी का मंदिर है। अतः इसे श्रीनाथद्वारा भी कहा जाता है| यह मंदिर
पुष्टिमार्ग संप्रदाय के अनुयायियों का सबसे पवित्र स्थान है। श्रीनाथजी
भगवान कृष्ण के ही रुप हैं। इस संप्रदाय की स्थाापना 16वीं शताब्दी में वल्लभाचार्य
ने की थी। इस मंदिर में भगवान विष्णु की एक मूर्त्ति है। यह
मूर्त्ति काले पत्थर की बनी हुई है। इस मूर्त्ति को औरंगजेब के कहर से
सुरक्षित रखने के लिए 1669 ई. में मथुरा से लाया गया था। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए दिन में सात बार खोला जाता है,
लेकिन हर बार सिर्फ आधे घण्टे के लिए।
यह स्थान पिच्चमवाई पेंटिग्स के लिए भी प्रसिद्ध है। उदयपुर से
यहां के लिए बसें चलती हैं।
|
सहित्य मंडल के प्रधान मंत्री श्री श्याम जी देवपुरा एवं श्री विट्ठल पारीक सञ्चालन करते हुए |
नाथद्वारा साहित्य मंडल के प्रधानमंत्री श्री श्याम जी देवपुरा द्वारा हिन्दी लाओ-देश बचाओ --कार्यक्रम के अंतर्गत ३
दिन का एक वृहद् साहित्यिक आयोजन किया गया | १५-९-१५ को राजस्थान ब्रजभाषा
मंडल द्वारा ब्रजभाषा साहित्य पर परिचर्चा एवं काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया
गया |
|
हिन्दी लाओ-देश्बचाओ अभियान |
|
नाथद्वारा नगर में हिन्दी रैली |
|
पुस्तक मेला |
|
हिन्दी साहित्य विभूषण की उपाधि से सम्मानित साहित्यकार |
|
ड़ा श्याम गुप्त-हिन्दी भाषा, साहित्य व अगीत पर वक्तव्य |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें