२१ जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया
गया |यह एक अच्छी शुरुयात है |इसके लिए आयोजक एवं इसमे भाग लेनेवाले सभी
प्रतिभागी बधाई के पात्र हैं | 'योग' का अर्थ होता है 'जोड़ना" 'या
"मिलाना" अर्थात एक से अधिक वस्तुओं को एक दुसरे से संयुक्त करना ,उसमें
एकरूपता लाना | ऋषि,मुनि , योगियों के लिए योग का अर्थ है- तन,मन को शांत
कर आत्मा के साथ संरेखन कर परमात्मा तक पहुँचने के लिए प्रयत्न करना |
अस्वस्थ शरीर में मन स्वस्थ नहीं हो सकता और अगर मन अस्वस्थ है तो ईश्वर के
ध्यान में मन नहीं लगेगा | इसीलिए सबसे पहले शरीर को स्वस्थ व निरोगी
बनाना अत्यन्त आवश्यक है | शरीर स्वस्थ होगा तो मन स्वस्थ होगा, तब
परमात्मा के ध्यान में एकाग्रता आयगी | अत: योग का उद्येश्य है - तन,मन और
आत्मा में अनुरूपता स्थापित करना |
महर्षि पतंजलि के अनुसार योग का अर्थ "योगस्यचित्त वृत्तिनिरोध:" अर्थात योग मन के वृत्ति को रोकता है ,मन के भटकन पर नियंत्रण करता है |उन्होंने योग को आठ भागों में बांटा है जिसको अष्टांग योग कहते हैं | वे इस प्रकार हैं :- १.यम २. नियम ३. आसन ४. प्राणायाम ५. प्रत्याहार ६. धारणा ७.समाधि और ८. ध्यान |
योग दिवस पर आयोजकों ने योग के केवल आसन और प्राणायाम पर ध्यान केन्द्रित किया है | इसके पहले यम और नियम आते हैं परन्तु इन पर ध्यान देना उचित नहीं समझा क्योंकि यम के अन्तर्गत "सत्य व अहिंसा का पालन , चोरी न करना ,आवश्यकता से अधिक चीजों का इकठ्ठा न करना " शामिल है | आज जग जाहिर है कि नेता न सत्य के मार्ग पर चलते हैं न अहिंसा का पालन करते हैं | इसके विपरीत वे दो समुदायों में हिंसा फैलाकर अपने वोटबैंक को पक्का करते हैं | मंत्री बड़े बड़े घपला कर सरकारी धन का गबन करते हैं ,दुसरे शब्दों में कहे तो चोरी करते हैं | बेनामी धंधों में माल इकठ्ठा करते हैं | ये सब योग के यम सिद्धांत के विपरीत हैं |इस दशा में यम का पालन कैसे कर सकते हैं ? अत; नेताओं ने यम पर न बोलना ही अपने हित में समझा और यम,नियम को छोड़कर सीधा आसन और प्राणायाम को योग के रूप में प्रस्तुत किया | योग के मूल सिद्धांत को छोड़कर केवल शारीरिक व्यायाम को ही योग का नाम दे दिया | यदि सही मायने में योग को अपनाना चाहते है तो योग के सभी आठ अंगों का पूरा पूरा पालन करना चाहिए | भ्रष्टाचार में डूबे देश के लिए यह उचित होगा कि मंत्री ,नेता ,सकारी व अ-सरकारी कर्मचारी पहले यम का पालन करने का शपथ लें और तदनुरूप व्यावहार करे तभी योग दिवस मनाना सफल माना जायगा अन्यथा यह एक और दिखावा बनकर रह जायगा |
कालीपद "प्रसाद"
महर्षि पतंजलि के अनुसार योग का अर्थ "योगस्यचित्त वृत्तिनिरोध:" अर्थात योग मन के वृत्ति को रोकता है ,मन के भटकन पर नियंत्रण करता है |उन्होंने योग को आठ भागों में बांटा है जिसको अष्टांग योग कहते हैं | वे इस प्रकार हैं :- १.यम २. नियम ३. आसन ४. प्राणायाम ५. प्रत्याहार ६. धारणा ७.समाधि और ८. ध्यान |
योग दिवस पर आयोजकों ने योग के केवल आसन और प्राणायाम पर ध्यान केन्द्रित किया है | इसके पहले यम और नियम आते हैं परन्तु इन पर ध्यान देना उचित नहीं समझा क्योंकि यम के अन्तर्गत "सत्य व अहिंसा का पालन , चोरी न करना ,आवश्यकता से अधिक चीजों का इकठ्ठा न करना " शामिल है | आज जग जाहिर है कि नेता न सत्य के मार्ग पर चलते हैं न अहिंसा का पालन करते हैं | इसके विपरीत वे दो समुदायों में हिंसा फैलाकर अपने वोटबैंक को पक्का करते हैं | मंत्री बड़े बड़े घपला कर सरकारी धन का गबन करते हैं ,दुसरे शब्दों में कहे तो चोरी करते हैं | बेनामी धंधों में माल इकठ्ठा करते हैं | ये सब योग के यम सिद्धांत के विपरीत हैं |इस दशा में यम का पालन कैसे कर सकते हैं ? अत; नेताओं ने यम पर न बोलना ही अपने हित में समझा और यम,नियम को छोड़कर सीधा आसन और प्राणायाम को योग के रूप में प्रस्तुत किया | योग के मूल सिद्धांत को छोड़कर केवल शारीरिक व्यायाम को ही योग का नाम दे दिया | यदि सही मायने में योग को अपनाना चाहते है तो योग के सभी आठ अंगों का पूरा पूरा पालन करना चाहिए | भ्रष्टाचार में डूबे देश के लिए यह उचित होगा कि मंत्री ,नेता ,सकारी व अ-सरकारी कर्मचारी पहले यम का पालन करने का शपथ लें और तदनुरूप व्यावहार करे तभी योग दिवस मनाना सफल माना जायगा अन्यथा यह एक और दिखावा बनकर रह जायगा |
कालीपद "प्रसाद"
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