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सोमवार, 29 जून 2015

"क्षणिकाकार अमन चाँदपुरी" (समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

"क्षणिकाकार अमन चाँदपुरी" 
     क्षणिका के क्रम में आज एक नवोदित आशुकवि अमन चाँदपुरी का परिचय पाठको से करा रहा हूँ। जिन्होंने ढेर सारी क्षणिकाओं को रचा है। उनकी क्षणिकाओं में मुझे मर्मस्पर्शी भाव देखने को मिला है।
      मेरे विचार से “क्षण की अनुभूति को चुटीले शब्दों में पिरोकर परोसना ही क्षणिका होती है। अर्थात मन में उपजे गहन विचार को थोड़े से शब्दों में इस प्रकार बाँधना कि कलम से निकले हुए शब्द सीधे पाठक के हृदय में उतर जाये।”
देखिए इनकी यह क्षणिका-
'दरार'
जब दरार पडती है रिश्तों में
वो आसानी से नहीं भरती
दीवार की दरार प्लास्टर भर सकता हैं
मगर रिश्तों में पड़ी दरार
बहुत मुश्किल से भरती हैं
जब कभी भरती हैं
तब भी
अपना निशान छोड़ जाती हैं।
      इनकी एक अत्यन्त मार्मिक क्षणिका भी है। जिसमें जीवन का दर्शन निहित है-
'मौत'
सिर्फ दो अक्षर और एक मात्रा
जिससे बचाया
मैंने जीवन भर
क्या था वो शब्द
मौत
      अन्धविश्वास के खिलाफ भी इनका स्वर मुखरित हुआ है-
'बासी लकीरें'
मेरी बचकानी उम्र में ही
हाथ की जिन लकीरों को पढ़कर
 पंडित बाबा ने
मेरी भयानक कुंडली बनाई थी
बड़े होते ही
मैनें उन सभी
बासी पड़ी लकीरों को उतार फेंका
खुद नई-नई
और ताजा लकीरें बनाने के लिए
      बालश्रमिक के विरुद्ध अपनी अभिव्यक्ति को इन्होंने एक अलग ही अन्दाज़ में अपनी इस क्षणिका में व्यक्त किया है- 
'बालमजदूर'
स्टील का बर्तन
सीसे-सा चमकने लगा
एक परिवार के पालनहार ने
उसमें देखा –
अपना मासूम-सा चेहरा
उसे ठगा महसूस हुआ
सोचा –
 मैं समय से बहुत पहले बड़ा हो गया
      मुहावरे को क्षणिका में पिरोना बहुत कम लोग ही जानते हैं मगर इन्होंने मुहावरे का प्रयोग अपनी क्षणिका में सफलता के साथ किया है-
'समय'
समय के पाँव भारी हैं
उसे तेज चलना न सिखाओ
करेला नीम चढ़ जायेगा
     लोग सपिकाएँ लिखते हैं मगर इन्होंने अपनी सीपिका को क्षणिका के रूप में इस प्रकार पिरोया है।
 'बुजुर्ग'
बुजुर्ग की आँखें
अनुभव का सागर
     जैसा कि मैंने पहले ही उल्लेख किया है “आशुकवि ही सफल क्षणिकाकार हो सकता है। इनकी क्षणिकासृजन क्षमता इनकी निम्न क्षणिका का जीता जागता
उदाहरण है-
'आशुकवि'
कुछ समय के लिए
समय के पैरों में
बेड़ियाँ डाल दो
मैं आशुकवि बनना चाहता हूँ
जो तत्काल कविता ही नहीं
सम्पूर्ण ग्रंथ रचने में सक्षम हो
    मुझे आशा ही नहीं अपितु विश्वास भी है कि ये भविष्य में एक सफल साहित्यकार सिद्ध होंगे। मैं इनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
शुभकामनाओं के साथ!
समीक्षक
 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
कवि एवं साहित्यकार 
टनकपुर-रोडखटीमा
जिला-ऊधमसिंहनगर (उत्तराखण्ड) 262 308
E-Mail .  roopchandrashastri@gmail.com
फोन-(05943) 250129 मोबाइल-09997996437
अमन चाँदपुरी का परिचय निम्नवत् है-
वास्तविक नाम- अमन सिंह
जन्मतिथि- 25 नवम्बर 1997
जन्म स्थान- ग्राम व पोस्ट - चाँदपुर, टांडा, अम्बेडकर नगर
शिक्षा- बी. ए.
पिता - श्री सुनील कुमार सिंह
लेखन- 15 मई 2012 से
विधाएं- कविता, क्षणिका, हाइकु
सम्पर्क- ग्राम व पोस्ट - चाँदपुर, टांडा, अम्बेड़कर नगर, यू.पी.
मोबाईल - +919721869421
मेल- kaviamanchandpuri@gmail.com

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