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गुरुवार, 8 मार्च 2018

महिला दिवस पर--कहानी हमारी -तुम्हारी ---डा श्याम गुप्त ...



महिला दिवस पर--कहानी हमारी -तुम्हारी ---डा श्याम गुप्त ...

                

महिला दिवस पर---
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कहानी हमारी -तुम्हारी
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ये दुनिया हमारी सुहानी न होती ,
कहानी ये अपनी कहानी न होती ।
ज़मीं चाँद -तारे सुहाने न होते ,
जो प्रिय तुम न होते, अगर तुम न होते।

न ये प्यार होता, ये इकरार होता ,
न साजन की गलियाँ, न सुखसार होता।
ये रस्में न क़समें, कहानी न होतीं ,
ज़माने की सारी रवानी न होती ।

हमारी सफलता की सारी कहानी ,
तेरे प्रेम की नीति की सब निशानी ।
ये सुंदर कथाएं फ़साने न होते,
सजनि! तुम न होते,जो सखि!तुम न होते ।

तुम्हारी प्रशस्ति जो जग ने बखानी,
कि तुम प्यार-ममता की मूरत,निशानी ।
ये अहसान तेरा सारे जहाँ पर ,
तेरे त्याग -दृढता की सारी कहानी ।

ज़रा सोचलो कैसे परवान चढ़ते,
हमीं जब न होते, जो यदि हम न होते।
हमीं हैं तो तुम हो सारा जहाँ है ,
जो तुम हो तो हम है, सारा जहाँ है।

अगर हम न लिखते, अगर हम न कहते ,
भला गीत कैसे तुम्हारे ये बनते।
किसे रोकते तुम, किसे टोकते तुम ,
ये इसरार इनकार, तुम कैसे करते ।

कहानी हमारी -तुम्हारी न होती ,
न ये गीत होते, न संगीत होता।
सुमुखि ! तुम अगर जो हमारे न होते
सजनि! जो अगर हम तुम्हारे न होते॥

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-03-2017) को "अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश" (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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