यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

दो कह मुकरियाँ ---डा श्याम गुप्त....



                    

दो कह मुकरियाँ ---

१.
बात गज़ब की वह बतलाये
सोते जगते दिल बहलाए
उसके रँग ढंग की सखि कायल,
री सखि, साजन !, ना मोबायल |

२.
उंगली पर वह मेरी नाचे,
जग भर की वह बातें बांचे
रूप रंग से सब जग घायल
री सखि साजन ? सखि मोबायल |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

दोहे "गुरू पूर्णिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') --

 दोहे "गुरू पूर्णिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') -- चलो गुरू के द्वार पर, गुरु का धाम विराट। गुरू शिष्य के खोलता, सार...