.मेरे ..श्रृंगार व प्रेम गीतों की शीघ्र प्रकाश्य कृति
......"तुम तुम और तुम". से ....प्रथम गीत ------
इन गीतों को मुखरित करदो ....
मेरे गीत तुम्हारा वंदन इन गीतों को मुखरित करदो |
निज उष्मित अधरों के स्वर दे इन गीतों में मधु रस भरदो |
ह्रदय-पत्र पर चले लेखनी पायल के स्वर की मसि भरदो |
इन गीतों को मुखरित करदो |
पायल के स्वर की मसि भरदो ||
मेरे गीत तुम्हारे मन के स्वर की मधुर कल्पनाएँ हैं|
तेरे मृदुल गात की अनुपम सुकृत सुघर अल्पनायें हैं |
इन गीतों में प्रीती रंग भर इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित करदो |
इन गीतों में मधु रस भरदो |
इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित करदो|| |
इन गीतों में प्रियतम तेरी बांकी चितवन मृदू मुस्कानें |
मादक यौवन की झिलमिल है देह-यष्टि की सुरभित तानें |
खिलती कलियों के सौरभ की खिल खिल खिल मुस्कानें भरदो |
खिल खिल खिल मुस्कानें भरदो |
इन गीतों को मुखरित करदो ||
इन गीतों में विरह-मिलन के विविध रंग रूपक उपमाएं |
पल पल रंग बदलते जीवन-जग की विविध व्यंजनायें |
मधुर रागिनी सुरभित साँसों की दे इनमें जीवन भरदो |
इन गीतों में जीवन भरदो|
इन गीतों को मुखरित करदो ||
मेरे गीत तुम्हारी ही तो स्वर सरगम के अनुयायी हैं |
तेरी पगढ़वानी, नूपुर रुनझुन अनहद नाद के अध्यायी हैं |
स्वस्ति वचन, मुकुलित स्वर देकर इन गीतों में अमृत भरदो |
इन गीतों में अमृत भरदो|
इन गीतों को मुखरित करदो ||
इन गीतों को मुखरित करदो ....
मेरे गीत तुम्हारा वंदन इन गीतों को मुखरित करदो |
निज उष्मित अधरों के स्वर दे इन गीतों में मधु रस भरदो |
ह्रदय-पत्र पर चले लेखनी पायल के स्वर की मसि भरदो |
इन गीतों को मुखरित करदो |
पायल के स्वर की मसि भरदो ||
मेरे गीत तुम्हारे मन के स्वर की मधुर कल्पनाएँ हैं|
तेरे मृदुल गात की अनुपम सुकृत सुघर अल्पनायें हैं |
इन गीतों में प्रीती रंग भर इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित करदो |
इन गीतों में मधु रस भरदो |
इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित करदो|| |
इन गीतों में प्रियतम तेरी बांकी चितवन मृदू मुस्कानें |
मादक यौवन की झिलमिल है देह-यष्टि की सुरभित तानें |
खिलती कलियों के सौरभ की खिल खिल खिल मुस्कानें भरदो |
खिल खिल खिल मुस्कानें भरदो |
इन गीतों को मुखरित करदो ||
इन गीतों में विरह-मिलन के विविध रंग रूपक उपमाएं |
पल पल रंग बदलते जीवन-जग की विविध व्यंजनायें |
मधुर रागिनी सुरभित साँसों की दे इनमें जीवन भरदो |
इन गीतों में जीवन भरदो|
इन गीतों को मुखरित करदो ||
मेरे गीत तुम्हारी ही तो स्वर सरगम के अनुयायी हैं |
तेरी पगढ़वानी, नूपुर रुनझुन अनहद नाद के अध्यायी हैं |
स्वस्ति वचन, मुकुलित स्वर देकर इन गीतों में अमृत भरदो |
इन गीतों में अमृत भरदो|
इन गीतों को मुखरित करदो ||
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