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रविवार, 8 नवंबर 2015

कितने दीपक ........कारण, कार्य व प्रभाव गीत...डा श्याम गुप्त


--------सभी विज्ञ जनों को पञ्च दिवसीय दीपावली पर्व की शुभकामनाओं सहित------

गीत--कारण, कार्य व प्रभाव गीत --कितने दीपक--मेरे द्वारा नव-सृजित गीत जिसमें --प्रायः पहली दो पंक्तियों में विषय का कारण दिया जाता है ---आगे की चार पंक्तियों में उसका कार्य एवं प्रभाव प्रदर्शित किया जाता है ---विभिन्न भाव सहित कई बंद लिखे जा सकते हैं ---
( यथा--कारण--पर्व, कार्य--पूजन, प्रभाव--प्रकाश दीप जलना, ज्ञान का प्रकाश ....इसी प्रकार प्रत्येक पद में)

कारण, कार्य व प्रभाव गीत --कितने दीपक....
( यथा--कारण--पर्व, कार्य--पूजन, प्रभाव--प्रकाश दीप जलना....इसी प्रकार प्रत्येक पद में)

अन्धकार पर प्रकाश की जय,
दीपावलि का पर्व सुहाए।


धन, संमृद्धि, सौभाग्य बृद्धि हित ,
घर घर लक्ष्मी पूजन होता।
जग जीवन से तमस हटाने,
कितने दीपक जल उठते हैं।। १.


मन में प्रियतम का मधुरिम स्वर,
नवजीवन मुखरित कर देता।


आशा औ आकांक्षाओं के ,
नित नव भाव पल्लवित होते।
नेह का घृत, इच्छा-बाती युत,
कितने दीपक जल उठते हैं॥ २.


दीपशिखा सम छबि प्रेयसि की,
जब नयनों में रच बस जाती।


मधुर मिलन के स्वप्निल की,
रेखा सी मन में खिंच जाती।
नयनों में सुंदर सपनों के,
कितने दीपक जल उते हैं॥ ३.


अहं भाव से ग्रस्त शत्रु जब,
देश पै आंख गढाने लगता।


वीरों के नयनों में दीपित ,
रक्त खौलने लग जाता है।
जन मन गण में शौर्य भाव के,
कितने दीपक जल उठते हैं॥ ४.


जब अज्ञान तिमिर छंट जाता,
ज्ञान की ज्योति निखर उठती है।
नये-नये ,विज्ञान ज्ञान की,
नित नव राहें दीपित होतीं ।
मन में नव संकल्प भाव के,
कितने दीपक जल उठते हैं॥ ५.
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