राखी
का त्यौहार....ड़ा श्याम गुप्त.....
बहन ही तो भाई का प्रथम
सखा होती है |
भाई ही तो बहन का होता है
प्रथम मित्र,
बचपन की यादें कैसी मन को
भिगोती हैं |
बहना दिलाती याद,ममता की माँ की छवि,
भाई में बहन, छवि पिता की संजोती है |
बचपन महकता ही रहे सदा
यूंही श्याम ,
बहन को भाई, उन्हें बहनें प्रिय होती हैं ||
भाई औ बहन का प्यार दुनिया
में बेमिसाल,
यही प्यार बैरी को भी राखी
भिजवाता है |
दूर देश बसे , परदेश या विदेश में हों ,
एक एक धागे में बसा असीम
प्रेम बंधन,
राखी का त्यौहार रक्षाबंधन
बताता है |
निश्छल अमिट बंधन, श्याम'धरा-चाँद जैसा ,
चाँद इसीलिये
चन्दामामा कहलाता है ||
रंग विरंगी सजी राखियां
कलाइयों पर,
देख देख भाई
हरषाते इठलाते हैं |
बहन जो लाती है मिठाई भरी
प्रेम-रस ,
एक दूसरे को बड़े प्रेम
से खिलाते हैं |
दूर देश बसे जिन्हें राखी
मिली डाक से,
बहन की ही छवि देख देख मुसकाते हैं |
अमिट अटूट बंधन है ये प्रेम-रीति का,
सदा बना रहे श्याम ' मन से मनाते हैं ||
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