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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

श्याम सवैया छंद.. डा श्याम गुप्त ....

                        मेरे द्वारा नव-सृजित छंद....श्याम सवैया ......जो छः पंक्तियों का  सवैया  छंद है जिसमें २२ से २६ तक वर्ण होसकते हैं ....


श्याम सवैया छंद........२२ वर्ण  ...छ पंक्तियाँ ) )

 
 जन्म मिले यदि......

जन्म मिलै यदि मानुस कौतौ भारत भूमि वही अनुरागी |
पूत बड़े नेता कौं बनूँनिज हित लगि देश की चिंता त्यागी |
पाहन ऊंचे मौल सजूँनित माया के दर्शन पाऊं सुभागी |
जो पसु हों तौ स्वान वहीमिले कोठी औ कार रहों बड़भागी |
काठ बनूँ तौ बनूँ कुर्सीमिलि  जावै मुराद मिले मन माँगी |
श्याम' जहै ठुकराऊं मिलेया फांसी या जेल सदा को हो दागी ||

 
वाहन हों तौ हीरो होंडाचलें बाल युवा सबही सुखरासी |
बास रहे दिल्ली बैंगलूरन चाहूँ अजुध्या मथुरा न कासी |
चाकरी प्रथम किलास मिले, सत्ता के मद में चूर नसा सी  |
पत्नी मिलै संभारै दोऊ, घर-    चाकरी बात न टारै ज़रा सी |
श्याम' मिलै बँगला-गाडी, औ दान -दहेज़ प्रचुर धन रासी |
जौ कवि हों तौ बसों लखनऊ, हर्षावै गीत अगीत विधा सी

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (04-04-2015) को "दायरे यादों के" { चर्चा - 1937 } पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सार्थक सृजन, बधाई

    जवाब देंहटाएं

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