यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 8 फ़रवरी 2015

सूरज कुमार

किरणों के तेज में, हवा के वेग में, एक नये उल्लास में, उमंगो के तलाश में तुम चलो _ ये राह भी तुम्हारा है, ये धरा भी तुम्हारी है, तो क्यो डरते हो बाधाओ से, ये रुकने का नाम नही, कर अभी कोइ आराम नही, एक कदम बढा कर देख, कोइ डर ना होगा, कोइ डगर पराया ना होगा, फिर ये अम्बर भी तुम्हारा है, ये सागर की लहरें भी तुम्हारी है |

1 टिप्पणी:

फ़ॉलोअर

चिकित्सक दिवस पर एक कहानी ------- -पाल ले इक रोग नादां ---डॉ. श्याम गुप्त ---

  चिकित्सक दिवस पर एक कहानी ---डॉ. श्याम गुप्त ----- ------------------------------------ -                        पाल ले इक रोग नादां . .. ...