ग़ज़ल की कोइ किस्म नहीं होती है दोस्तो|
ग़ज़ल का जिस्म उसकी रूह ही होती है दोस्तो |
हो जिस्म से ग़ज़ल विविध रूप रंग की ,
पर रूह लय गति ताल ही होती है दोस्तों |
कहते हैं विज्ञ कला-कथा ग़ज़ल ज्ञान की ,
यूं ग़ज़ल दिले-रंग ही होती है दोस्तो |
बहरें वो किस्म किस्म की, तक्ती सही-गलत ,
पर ग़ज़ल दिल का भाव ही होती है दोस्तो |
उठना व गिरना लफ्ज़ का, वो शाने ग़ज़ल भी ,
बस धडकनों का गीत ही होती है दोस्तो |
मस्ती में झूम कहदें श्याम ' ग़ज़ल-ज्ञान क्या ,
हर ग़ज़ल सागर ज्ञान का ही होती है दोस्तों ||
ग़ज़ल का जिस्म उसकी रूह ही होती है दोस्तो |
हो जिस्म से ग़ज़ल विविध रूप रंग की ,
पर रूह लय गति ताल ही होती है दोस्तों |
कहते हैं विज्ञ कला-कथा ग़ज़ल ज्ञान की ,
यूं ग़ज़ल दिले-रंग ही होती है दोस्तो |
बहरें वो किस्म किस्म की, तक्ती सही-गलत ,
पर ग़ज़ल दिल का भाव ही होती है दोस्तो |
उठना व गिरना लफ्ज़ का, वो शाने ग़ज़ल भी ,
बस धडकनों का गीत ही होती है दोस्तो |
मस्ती में झूम कहदें श्याम ' ग़ज़ल-ज्ञान क्या ,
हर ग़ज़ल सागर ज्ञान का ही होती है दोस्तों ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-05-2014) को "मुजरिम हैं पेट के" (चर्चा मंच-1603) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी.....
हटाएंकहते हैं विज्ञ कला-कथा ग़ज़ल ज्ञान की ,
जवाब देंहटाएंयूं ग़ज़ल दिले-रंग ही होती है दोस्तो |
बहुत सही कहा।
धन्यवाद आशाजी ...
हटाएंवाह ... ग़ज़ल में ही ग़ज़ल के भाव .. गागर में सागर ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दिगंबर जी...आभार...
हटाएंइस ग़ज़ल की ग़ज़ल के रंगों-भाव में ,
जवाब देंहटाएंयह कद्रदानी ही ग़ज़ल होती है दोस्तों
umda gazal
जवाब देंहटाएंhttp://thoughtpari.blogspot.com/2014/05/blog-post.html?spref=bl
धन्यवाद नीलिमा जी....
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