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रविवार, 2 अगस्त 2020

अगस्त पाँच को दीवाली मनने वाली (विनीता अग्निहोत्री)

विनीता अग्निहोत्री की कविता
अगस्त पाँच को दीवाली है मनने वाली
फिर से भूमि अयोध्या की है सजने वाली

खूब बजेंगे शंख-ढोल, मंजीरे-थाली
चातक मोर-पपीहा धुन गायेंगे मतवाली

झूम उठेगी फिर सरयू के तट हरियाली
अब शुभ वेला की तारीख न जाये टाली

गाओ नाचों और बजाओ दिल से ताली
दीप जलेंगे खुशियों के तो हो जायेगी दीवाली

साधू-सन्त मिटा देंगे अब रजनी काली
बोलो जय श्रीराम पियो मधु रस की प्याली
- विनीता अग्निहोत्री

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (04-08-2020) को   "अयोध्या जा पायेंगे तो श्रीरामचरितमानस का पाठ करें"  (चर्चा अंक-3783)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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