मुझे याद आओगे
कभी तो भूल पाऊँगा तुमको,
मुश्क़िल तो है|
लेकिन,
मंज़िल अब वहीं है||
पहले तुम्हारी एक झलक को,
कायल रहता था|
लेकिन अगर तुम अब मिले,
तों भूलना मुश्किल होगा||
दोहे "गुरू पूर्णिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') -- चलो गुरू के द्वार पर, गुरु का धाम विराट। गुरू शिष्य के खोलता, सार...
अति सुंदर लेख पढ़ कर बहुत अच्छा लगा Free Song Lyrics
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंBahut sudar
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