दाशराज्ञ युद्ध – और आज की राजनैतिक स्थिति –
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बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि राम-रावण युद्ध एवं महाभारत युद्ध के मध्य के काल में एक भीषण युद्ध हुआ था जिससे भारत की किस्मत बदल गई।
--------महाभारत युद्ध के लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व त्रेतायुग में हुआ दशराज युद्ध या #दाशराज्ञयुद्ध | इस युद्ध में #दसकबीलों के #संगठन ने राजा सुदास के विरुद्ध युद्ध किया था, यद्यपि विजय राजा सुदास की हुई एवं #संगठन को #पराजय का मुख देखना पडा |
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बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि राम-रावण युद्ध एवं महाभारत युद्ध के मध्य के काल में एक भीषण युद्ध हुआ था जिससे भारत की किस्मत बदल गई।
--------महाभारत युद्ध के लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व त्रेतायुग में हुआ दशराज युद्ध या #दाशराज्ञयुद्ध | इस युद्ध में #दसकबीलों के #संगठन ने राजा सुदास के विरुद्ध युद्ध किया था, यद्यपि विजय राजा सुदास की हुई एवं #संगठन को #पराजय का मुख देखना पडा |
---इतिहास स्वयं को दोहराता है----यही स्थिति आज भी है | तमाम वैचारिक विभिन्नता वाले दल एकत्र होकर एक दल के प्रमुख को हटाने हेतु युद्धरत हैं |
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दाशराज्ञ युद्ध आर्यावर्त का सर्वप्रथम भीषण युद्ध था जो आर्यावर्त क्षेत्र में आर्यों के ही बीच हुआ था। प्रकारांतर से इस युद्ध का वर्णन दुनिया के हर देश और वहां की संस्कृति में आज भी विद्यमान हैं। इस युद्ध के परिणाम स्वरुप ही मानव के विभिन्न कबीले भारत एवं भारतेतर दूरस्थ क्षेत्रों में फैले व फैलते गए | ऋग्वेद के सातवें मंडल में इस युद्ध का वर्णन मिलता है। यह युद्ध आधुनिक पाकिस्तानी पंजाब में परुष्णि नदी (रावी नदी) के पास हुआ था।
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उन दिनों पूरा आर्यावर्त कई टुकड़ों में बंटा था और उस पर विभिन्न जातियों व कबीलों का शासन था। भरत जाति के कबीले के राजा सुदास थे। उनकी लड़ाई पुरु, यदु, तुर्वश, अनु, द्रुह्मु, अलिन, पक्थ, भलान, शिव एवं विषाणिन कबीले के लोगों से हुई थी। दोनों ही हिंद-आर्यों के 'भरत' नामक समुदाय से संबंध रखते थे।
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सुदास के विरुद्ध दस राजा (कबीले-जिनमें कुछ अनार्य कबीले भी थे ) युद्ध लड़ रहे थे जिनका नेतृत्व पुरु कबीला के राजा संवरण कर रहे थे, जिनके सैन्य सलाहकार ऋषि विश्वामित्र ने पुरु, यदु, तुर्वश, अनु और द्रुह्मु तथा पांच अन्य छोटे कबीले अलिन, पक्थ, भलान, शिव एवं विषाणिन आदि दस राजाओं के एक कबीलाई संघ का गठन तैयार किया जो ईरान, से लेकर अफगानिस्तान, बोलन दर्रे, गांधार व रावी नदी तक के क्षेत्र में निवास करते थे |
------एक ओर वेद पर आधारित भेदभाव रहित वर्ण व्यवस्था का विरोध करने वाले विश्वामित्र के सैनिक थे तो दूसरी ओर गुरु वशिष्ठ की सेना के प्रमुख राजा सुदास थे।
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इस युद्ध में इंद्र और ##वशिष्ट की संयुक्त सेना के हाथों #विश्वामित्र की सेना को पराजय का मुंह देखना पड़ा। सुदास के भरतों की विजय हुई और उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप के आर्यावर्त और आर्यों पर उनका अधिकार स्थापित हो गया।
--------इस देश का नाम भरतखंड एवं इस क्षेत्र को आर्यावर्त कहा जाता था परन्तु इस युद्ध के कारण आगे चलकर पूरे देश का नाम ही आर्यावर्त की जगह '#भारत' पड़ गया। जो आज तक कायम है |
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दाशराज्ञ युद्ध आर्यावर्त का सर्वप्रथम भीषण युद्ध था जो आर्यावर्त क्षेत्र में आर्यों के ही बीच हुआ था। प्रकारांतर से इस युद्ध का वर्णन दुनिया के हर देश और वहां की संस्कृति में आज भी विद्यमान हैं। इस युद्ध के परिणाम स्वरुप ही मानव के विभिन्न कबीले भारत एवं भारतेतर दूरस्थ क्षेत्रों में फैले व फैलते गए | ऋग्वेद के सातवें मंडल में इस युद्ध का वर्णन मिलता है। यह युद्ध आधुनिक पाकिस्तानी पंजाब में परुष्णि नदी (रावी नदी) के पास हुआ था।
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उन दिनों पूरा आर्यावर्त कई टुकड़ों में बंटा था और उस पर विभिन्न जातियों व कबीलों का शासन था। भरत जाति के कबीले के राजा सुदास थे। उनकी लड़ाई पुरु, यदु, तुर्वश, अनु, द्रुह्मु, अलिन, पक्थ, भलान, शिव एवं विषाणिन कबीले के लोगों से हुई थी। दोनों ही हिंद-आर्यों के 'भरत' नामक समुदाय से संबंध रखते थे।
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सुदास के विरुद्ध दस राजा (कबीले-जिनमें कुछ अनार्य कबीले भी थे ) युद्ध लड़ रहे थे जिनका नेतृत्व पुरु कबीला के राजा संवरण कर रहे थे, जिनके सैन्य सलाहकार ऋषि विश्वामित्र ने पुरु, यदु, तुर्वश, अनु और द्रुह्मु तथा पांच अन्य छोटे कबीले अलिन, पक्थ, भलान, शिव एवं विषाणिन आदि दस राजाओं के एक कबीलाई संघ का गठन तैयार किया जो ईरान, से लेकर अफगानिस्तान, बोलन दर्रे, गांधार व रावी नदी तक के क्षेत्र में निवास करते थे |
------एक ओर वेद पर आधारित भेदभाव रहित वर्ण व्यवस्था का विरोध करने वाले विश्वामित्र के सैनिक थे तो दूसरी ओर गुरु वशिष्ठ की सेना के प्रमुख राजा सुदास थे।
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इस युद्ध में इंद्र और ##वशिष्ट की संयुक्त सेना के हाथों #विश्वामित्र की सेना को पराजय का मुंह देखना पड़ा। सुदास के भरतों की विजय हुई और उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप के आर्यावर्त और आर्यों पर उनका अधिकार स्थापित हो गया।
--------इस देश का नाम भरतखंड एवं इस क्षेत्र को आर्यावर्त कहा जाता था परन्तु इस युद्ध के कारण आगे चलकर पूरे देश का नाम ही आर्यावर्त की जगह '#भारत' पड़ गया। जो आज तक कायम है |
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-03-2019) को "कलम बीमार है" (चर्चा अंक-3286) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'