यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

ग़ज़ल---विषमता के बीज----डा श्याम गुप्त


                                       



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर

दोहे "गुरू पूर्णिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') --

 दोहे "गुरू पूर्णिमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') -- चलो गुरू के द्वार पर, गुरु का धाम विराट। गुरू शिष्य के खोलता, सार...