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गुरुवार, 15 जनवरी 2015

जहरीला जहर ...डा श्याम गुप्त...



जहरीला जहर
          उत्तर प्रदेश में जहरीली शराव पीने से तमाम मौतें हुईं | यस शोक का एवं कठोर आवश्यक कार्यवाही करने का समय तो है ही, साथ ही साथ यह भी की अभी तक नकली शराव बनाने व बेचने वालों पर रोक क्यों नहीं लगाई गयी | छोटी छोटी भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक बातों पर चीखने चिल्लाने वाले समाजवादी, साम्यवादी संस्थाएं व उदारवादी एवं महिला संस्थाएं क्या कर रहीं थीं जो बात यहाँ तक आ  पहुँची | स्थानीय महिलायें क्या कर रहीं थी जिन्होंने अपने पुरुष वर्ग आदि को शराव जैसा जहर पीने से नहीं रोका  |
          शराव स्वयं में ही एक स्वयं सिद्ध जहर है उसका क्या असली होना क्या नकली होना | आखिर उन लोगों ने शराव पी ही क्यों | लोग शराव पीते ही क्यों हैं | वस्तुतः तो ऐसे लोगों से हमदर्दी होनी ही नहीं चाहिए | शराव पीना स्वयं में ही एक अवगुण, सामाजिक बुराई एवं आपराधिक कृत्य है | शराब का क्या नकली होना क्या असली होना | जब तक लोग स्वयं शराब पीना बंद नहीं करेंगे एवं शासन व समाज कठोरता से इस बुराई का विरोध नही करेगा ये घटनाएँ होती ही रहेंगीं |
         दोष पीने वालों का है, न शराब का न नकली का |

1 टिप्पणी:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (17-01-2015) को "सत्तर साला राजनीति के दंश" (चर्चा - 1861)7 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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