जहरीला जहर
उत्तर प्रदेश में जहरीली शराव पीने से
तमाम मौतें हुईं | यस शोक का एवं कठोर आवश्यक कार्यवाही करने का समय तो है ही, साथ
ही साथ यह भी की अभी तक नकली शराव बनाने व बेचने वालों पर रोक क्यों नहीं लगाई गयी
| छोटी छोटी भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक बातों पर चीखने चिल्लाने वाले समाजवादी,
साम्यवादी संस्थाएं व उदारवादी एवं महिला संस्थाएं क्या कर रहीं थीं जो बात यहाँ
तक आ पहुँची | स्थानीय महिलायें क्या कर
रहीं थी जिन्होंने अपने पुरुष वर्ग आदि को शराव जैसा जहर पीने से नहीं रोका |
शराव स्वयं में ही एक स्वयं सिद्ध जहर
है उसका क्या असली होना क्या नकली होना | आखिर उन लोगों ने शराव पी ही क्यों | लोग
शराव पीते ही क्यों हैं | वस्तुतः तो ऐसे लोगों से हमदर्दी होनी ही नहीं चाहिए |
शराव पीना स्वयं में ही एक अवगुण, सामाजिक बुराई एवं आपराधिक कृत्य है | शराब का
क्या नकली होना क्या असली होना | जब तक लोग स्वयं शराब पीना बंद नहीं करेंगे एवं
शासन व समाज कठोरता से इस बुराई का विरोध नही करेगा ये घटनाएँ होती ही रहेंगीं |
दोष पीने वालों का है, न शराब का न नकली
का |
सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (17-01-2015) को "सत्तर साला राजनीति के दंश" (चर्चा - 1861)7 पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'