तू वही है.....ग़ज़ल
तू वही है
तू वही है |
प्रश्न गहरा ,
तू कहीं है |
तू कहीं है,
या नहीं है |
कौन कहता ,
तू नहीं है |
है भी तू,
है भी नहीं है |
जहाँ ढूंढो ,
तू वहीं है |
तू ही तू है,
सब कहीं है |
जो कहीं है ,
तू वहीं है |
वायु जल थल ,
हर कहीं है |
' मैं' जहां है,
'तू' नहीं है |
'तू' जहां है ,
'मैं' नहीं है |
प्रश्न का तो,
हल यही है |
तू ही तू है,
तू वही है |
मैं न मेरा,
सच यही है |
तत्व सारा,
बस यही है |
मैं वही हूँ ,
तू वही है |
बसा हरसू ,
श्याम ही है |
श्याम ही है,
श्याम ही है ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (01-112-2013) को "निर्विकार होना ही पड़ता है" (चर्चा मंचःअंक 1448)
पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया गजल
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय डा. साहब
धन्यवाद शास्त्रीजी , रविकर एवं कुलदीप जी ...आभार ..
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