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शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

प्रीति का एक दीपक जलाओ सखे !......डा श्याम गुप्त ....


                                             


प्रीति का एक दीपक जलाओ सखे !.



 प्रीति  का एक दीपक जलाओ सखे !
देहरी का सभी तम सिमट जायगा | 
प्रीति का गीत इक गुनुगुनाओ सखे !
ये ह्रदय दीप फिर जगमगा जायगा ||

 
द्वेष क्या, द्वंद्व क्या ,
प्रीति निश्वांस सी |
एक लौ जल उठे ,
मन में विश्वास की |

आस का दीप ज्यों ही जले श्वांस में ,
जिंदगी का अन्धेरा भी कट जायगा |   .------प्रीति का एक दीपक ....||

 
ये अन्धेराहै क्यों,
विश्व में छा रहा ?
 साया आतंक का ,
कौन बिखरा रहा !

राष्ट्र के भाव अंतस सजाओ सखे !
ये कुहांसा तिमिर का भी छंट जायगा |   ----प्रीति का एक दीपक .......||


नेह से, प्रीति से,
प्रीति की रीति का |
एक दीपक जले,
नीति की प्रीति का |

नेह-नय के दिए जगमगाओ सखे !
 हर ह्रदय का अन्धेरा सिमट जायगा |   -----प्रीति का एक दीपक ......||

 
मन में छाया हो ,
अज्ञान ऊपी तिमिर |
सूझता सत् असत -
भाव कुछ भी नहीं |

ज्ञान का दीप तो इक जलाओ सखे !
बाल-रवि से छितिज जगमगा जायगा |
प्रीति का एक दीपक जलाओ सखे !
देहरी का सभी तम सिमट जायगा ||      ...प्रीति का एक दीपक ......||

                                                                              चित्र गूगल साभार.....

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (02-11-2013) "दीवाली के दीप जले" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1417) "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    दीपावली पर्वों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .. दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ..

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर कविता। शुभ दीपावली।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद आशाजी ..गीत की प्रशंसा हेतु .....आभार...शुभ दीवाली...

      हटाएं
  4. शानदार सामयिक प्रस्तुति...दीपावली की शुभकामनायें...

    नई पोस्ट @जब भी जली है बहू जली है

    जवाब देंहटाएं
  5. ये अन्धेराहै क्यों,
    विश्व में छा रहा ?
    साया आतंक का ,
    कौन बिखरा रहा !

    राष्ट्र के भाव अंतस सजाओ सखे !
    ये कुहांसा तिमिर का भी छंट जायगा |

    ये अन्धेराहै क्यों,
    विश्व में छा रहा ?
    साया आतंक का ,
    कौन बिखरा रहा !

    राष्ट्र के भाव अंतस सजाओ सखे !
    ये कुहांसा तिमिर का भी छंट जायगा |
    मनोरम लोकलुभावन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद ...शास्त्रीजी, आशाजी, वीरेन्द्र जी, प्रसन्न जी एवं नीरज जी.....दीपावली की शुभ कामनाओं के साथ....

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर गीत.
    दीपोत्सव की शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  8. मनभावन सन्देश परक भाव गीत।संस्कृति वंदन सा। सांस्कृतिक थाती सा।

    जवाब देंहटाएं

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