गज़ल--जाना होगा ...
खुशबू छाई जो फिजाओं में तो जाना जानां |
आपसे हमको मुलाक़ात
को जाना होगा |
झूम के बरसा जो सावन तो हमें ऐसा लगा,
अब तो जाना ही हमें जाना ही जाना होगा |
फिर तो ये दिल भी लगा पहलू से अपने जाने,
आपने ही तो
सदा देके पुकारा होगा |
अप थे सोच में, आयेंगे कि न आयेंगें ,
याद अपनों ने किया कैसे न आना होगा |
बड़ी शिद्दत से किया याद बुलाया ए हुज़ूर ,
कौन अब कैसे कहे, 'यार! न आना होगा' |
रूह में तुम थे समाये तो चले आये श्याम,
हम ही जब होंगे नहीं आना क्या आना होगा ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (28-11-2013) को "झूठी जिन्दगी के सच" (चर्चा -1444) में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्रीजी ...आभार ...
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
धन्यवाद रविकर .....
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